ओछिना पारा के बेजा कब्जाधारी मांग रहे जमीन पर मालिकाना हक, प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए चाहिए आवश्यक दस्तावेज, कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन


रतनपुर —– राज्य में सरकार बदलते ही अब आवास हीनों में प्रधानमंत्री आवास मिलने की उम्मीद तेज हो गई है। इसी उम्मीद के साथ रतनपुर के वार्ड क्रमांक 10 अम्बेडकर वार्ड ओछिना पारा के लोगों ने ज्ञापन सौंप कर जमीन पर मालिकाना हक मांगा है। यहां पर करीब 200 सालों से बसाहट है, जबकि यह भूमि सरकारी दस्तावेजों में किसी और के नाम है। इसे अनुसूचित जाति बाहुल्य वार्ड बताया जाता है। प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए जमीन के दस्तावेज जरूरी है लेकिन यहां रहने वाले किसी के भी पास जमीन का मालिकाना हक नहीं है, इसलिए उन्हें जाहिर तौर पर प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पायेगा। इसे लेकर पिछले कुछ दिनों से लगातार क्षेत्रवासी जहां निवास वहीं आवास की मांग कर रहे हैं। यह लोग अवैध रूप से जमीन पर कब्जा कर अपनी झोपड़ियां बनाकर यहां रह रहे हैं।
इन्हें उम्मीद थी कि सरकारी योजना के तहत उन्हें भूमि का पट्टा मिल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसलिए इन लोगों ने अब सरकार से जमीन पर मालिकाना हक मांगा है। मालिकाना हक न मिलने की सूरत में इन लोगों ने आगामी लोकसभा चुनाव के बहिष्कार की भी बात कही है।
रतनपुर के वार्ड क्रमांक 10 अंबेडकर वार्ड में गोचर, पहाड़ी और पथरीली जमीन में कच्चे मकान बनाकर अनुसूचित जाति वर्ग के लोग लगभग दो- तीन सौ सालों से रह रहे हैं, लेकिन किसी के पास भी जमीन का हक नहीं है। अब यही बात प्रधानमंत्री आवास योजना के आड़े आ रही है। इसके बाद ग्रामीण अलग-अलग स्तर पर पहुंचकर आवास के लिए आवश्यक दस्तावेजो की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि रतनपुर मुख्य नगरपालिका अधिकारी, तहसीलदार और पटवारी को बार-बार आवेदन के बाद भी उन्हें आवश्यक दस्तावेज नहीं प्रदान किया गया है, हालांकि ऐसा करना उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात है। यही कारण है कि एन लोकसभा चुनाव से पहले इन ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार की धमकी दे डाली, क्योंकि अब तक उनके सारे आवेदन खारिज और निरस्त हुए हैं। ग्रामीणों की दलिल है कि जिस जमीन पर वे काबिज है वह ना तो किसी की निजी जमीन है और ना ही सरकारी जमीन। पूरा ओछिना पारा बद्री विशाल गुप्ता और केदारनाथ जायसवाल, पंकज, नीरज रामचंद्र , लखनलाल वगैरह के नाम पर है। आरोप लगाया जा रहा है कि एक दौर में बद्री विशाल और केदारनाथ जायसवाल एवं लोगों ने मालगुजार रहते हुए छलकपट पर धोखाधड़ी एवं कूट रचनाकार अपने नाम में राजस्व अधिकारियों से मिलकर जमीन रिकॉर्ड में चढ़ा लिया था, तो वही ग्रामीणों का यह भी दावा है कि अगर किसी जमीन पर कोई व्यक्ति 12 साल तक काबिज रह कर निवास करता है तो उसे बेदखल नहीं किया जा सकता। इस बुनियाद पर भी वे इस जमीन के मालिकाना हक की मांग कर रहे हैं , क्योंकि उनका दावा है कि वे 1922- 23 से रतनपुर के ओछिना पारा के सरकारी जमीन पर घर खलिहान आदि बना कर रह रहे हैं। इस मुद्दे पर बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर ज्ञापन सौंपा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस पूरे मामले में जिला प्रशासन का क्या रुख होता है।