पेंड्रा में दसलक्षण महापर्व की धूम

जीपीएम जिला ब्यूरो अंशु सोनी की रिपोर्ट
जीपीएम जिला ब्यूरो अंशु सोनी की रिपोर्ट

दशलक्षण पर्व पर श्रद्धालओं ने की सम्यक ज्ञान की पूजा

 

पेंड्रा :—जैन समाज द्वारा मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण पर्व दशलक्षन पर्व इन दिनों समापन की ओर है ।यह पर्व भगवान महावीर के मूल सिद्धांत *अहिंसा परमो धर्म* और *जिओ और जीने दो* के मूल सिद्धांत पर आधारित है।और मोक्ष की प्राप्ति का रास्ता दिखाता है ।

दस दिनों तक चलने वाले इस पर्व पर प्रतिदिन धर्म के एक एक अंग /लक्षण का पालन किया जाता है,इसलिए ही इसे दसलक्ष्ण पर्व कहा जाता है।
श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर पेंड्रा में यह पर्व बहुत धूम धाम से मनाया जा रहा है ।इस अवसर पर सुबह अभिषेक पूजन किया जाता हैं।

श्री आदीश्वर पाठशाला पेंड्रा के बच्चो ने सभी कार्यक्रमों में हिस्सा लिया ।
शाम को समाज के सभी वर्गो द्वारा मिलजुल कर आरती के पश्चात सांगानेर से आए हुए पंडित राजेश जैन भैया जी द्वारा प्रवचन किया जाता हैं ।तत्पश्चात सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
तेरस के दिन मूलनायक 1008श्री शांतिनाथ भगवान का महा मस्तकाभिषेक हुआ ,जो वर्ष में एक ही बार होता है ।

कल रात्रि महिलाओं द्वारा नाटिका प्रस्तुत की गई ,जिसमे महासती चंदन बाला का चरित्र चित्रण किया गया ,जिन्होंने भगवान महावीर के 6 मास के उपवास के बाद आहार दिया था।
जैन धर्म के स्वर्णिम इतिहास में बहुत से महापुरुषों और सतियो का वर्णन आता है और आज की पीढ़ी को इस इतिहास से अवगत कराना जरूरी है ।
पर्युषण पर्व सिर्फ आत्मिक उन्नति के लिए ही नहीं बल्कि कही न कही खुद को मानवता के उच्च स्थान पर स्थापित करने के लिए मनाया जाता है

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