गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में महात्मा गांधी जयंती के अवसर पर भव्य समारोह का किया गया आयोजन

 

जीपीएम जिला ब्यूरो अंशु सोनी की रिपोर्ट
जीपीएम जिला ब्यूरो अंशु सोनी की रिपोर्ट

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही:—महंत बिसाहू दास उद्यानिकी महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही* में महात्मा गांधी जयंती के अवसर पर भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर छात्रों ने विभिन्न रचनात्मक एवं शैक्षिक गतिविधियों में भाग लेकर महात्मा गांधी के जीवन, आदर्शों और विचारों का प्रस्तुतीकरण किया। कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. नारायण साहू के मार्गदर्शन में हुआ, जबकि सांस्कृतिक प्रभारी डॉ. सोनल तिवारी ने इसकी सफलता में अहम भूमिका निभाई।

कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में शासकीय आईटीआई कॉलेज, गौरेला के प्राचार्य, डी.एस. आर्मो ने शिरकत की। उन्होंने छात्रों को महात्मा गांधी के आदर्शों को अपने दैनिक जीवन में अपनाने की प्रेरणा दी और उनके विचारों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम की शुरुआत रंगोली प्रतियोगिता से हुई, जहाँ छात्रों ने *”ग्राम सुराज”* की अवधारणा को अपनी रचनात्मकता से रंगों के माध्यम से सजीव किया। इस प्रतियोगिता में छात्रों ने गांधीजी के स्वप्नों को ग्रामीण जीवन की आत्मनिर्भरता के रूप में प्रस्तुत किया।

इसके बाद पोस्टर प्रदर्शनी आयोजित की गई, जिसका विषय *”मोहनदास करमचंद से महात्मा गांधी”* था। इसमें छात्रों ने गांधीजी के संघर्ष, सिद्धांतों और समाज के प्रति उनके अमूल्य योगदान को रचनात्मक तरीके से चित्रित किया। पोस्टरों में सत्य, अहिंसा और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गांधीजी की भूमिका को बेहद प्रभावशाली ढंग से दिखाया गया।

इसके उपरांत वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित हुई, जिसका विषय *”वैज्ञानिक युग में गांधीजी की प्रासंगिकता”* था। छात्रों ने आधुनिक युग में गांधीजी के सिद्धांतों की प्रासंगिकता पर गहन चर्चा की और उनके विचारों को वैज्ञानिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण से व्याख्यायित किया।

कार्यक्रम का अंतिम आकर्षण लघु नाटक था, जिसमें छात्रों ने गांधीजी के *नमक सत्याग्रह* को मंचित किया। नाटक के माध्यम से छात्रों ने गांधीजी के संघर्ष और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान की जीवंत प्रस्तुति दी, जो दर्शकों के लिए प्रेरणादायी रही।

समारोह के अंत में महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. नारायण साहू ने महात्मा गांधी के आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने छात्रों को सत्य, अहिंसा और आत्मनिर्भरता के सिद्धांतों का अनुसरण करने की प्रेरणा दी और इन सिद्धांतों की आज के समय में भी महत्ता पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम के समापन पर सभी उपस्थित छात्र, प्राध्यापक और अतिथियों ने महात्मा गांधी के स्वच्छता और सेवा के संदेश को आत्मसात करते हुए *”स्वच्छता की शपथ”* ली। इस सामूहिक संकल्प ने न केवल कार्यक्रम के वातावरण को प्रेरणादायी और भावपूर्ण बना दिया, बल्कि समाज के प्रति सभी को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास भी दिलाया।

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