
रतनपुर / कोटा (बिलासपुर):—
छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था का यह कैसा चेहरा है, जहां एक केबल टूटने से महीनों से ईसीजी मशीन बंद पड़ी है और शासन-प्रशासन कान में तेल डालकर सो रहा है? कोटा का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आज बीमारियों से नहीं, व्यवस्था की लापरवाही से जूझ रहा है।इस अस्पताल में ना तो बुनियादी उपकरण चालू हैं, ना पर्याप्त स्टाफ, और ना ही कोई सुनवाई। ग्रामीणों की पीड़ा अब आक्रोश में बदल चुकी है।
यह बात हैरान करती है कि जनप्रतिनिधि चुनावों में वोट मांगने हर चौपाल तक पहुंच जाते हैं, लेकिन आज जब क्षेत्र की जनता इलाज के लिए बिलख रही है, तो ना कोई विधायक नजर आता है, ना ही पंचायत प्रतिनिधि।एक तार की मरम्मत के लिए महीनों लग जाना क्या प्रशासन की नाकामी नहीं?जब कोटा जैसे महत्वपूर्ण विकासखंड में ही स्वास्थ्य केंद्र दम तोड़ रहे हैं, तो छोटे गांवों की हालत का अंदाज़ा लगाना कठिन नहीं।कोटा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की एकमात्र ईसीजी मशीन सिर्फ एक केबल के अभाव में बंद पड़ी है। हृदय रोग, हाई बीपी और अन्य आपातकालीन मामलों में मरीजों को तुरंत जांच की जरूरत होती है, लेकिन यहां जांच तो दूर, उम्मीद भी नहीं बची।
🎙️ “हमारी जान की कीमत सिर्फ एक केबल है?”
– एक वृद्ध मरीज की बेटी रोते हुए बोली:
“अगर मेरे पिता को कुछ हो गया तो क्या इसका दोष उस टूटी केबल का होगा या चुप्प बैठी सरकार का?”
सवाल जिम्मेदारों से
क्या विधायक, जनपद अध्यक्ष ‘ पंचायत अध्यक्ष और स्वास्थ्य अधिकारी को नहीं पता कि अस्पताल की मशीन बंद है?पंचायत फंड, स्वास्थ्य मिशन और CSR में करोड़ों खर्च हो रहे हैं, फिर एक केबल क्यों नहीं बदल पा रहे?क्या सिस्टम सिर्फ चुनावी फोटो खिंचवाने के लिए बचा है?
ग्रामीणों का फूटा गुस्सा – आंदोलन की चेतावनी
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने चेताया है कि यदि जल्द ही स्वास्थ्य सेवाएं दुरुस्त नहीं की गईं और जिम्मेदारों की जवाबदेही तय नहीं हुई, तो जन आंदोलन किया जाएगा।