जिला स्तरीय ‘बस्तर पंडुम’ का भव्य शुभारंभ बस्तर की लोक संस्कृति को मिल रही है नई पहचान : वन मंत्री केदार कश्यप

कोंडागांव से दीपक ठाकुर की रिपोर्ट
कोंडागांव से दीपक ठाकुर की रिपोर्ट

पारंपरिक लोकनृत्य, गीतों की रंगारंग प्रस्तुति; जनजातीय व्यंजन, आभूषण, वेशभूषा और शिल्पकला का हुआ भव्य प्रदर्शन

*कोंडागांव, जिला स्तरीय ‘बस्तर पंडुम’ प्रतियोगिता का भव्य शुभारंभ वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप के मुख्य आतिथ्य में आज कोंडागांव के ऑडिटोरियम में हुआ। इस आयोजन में जिले के पांचों विकासखंडों से आए लोक कलाकारों ने अपनी शानदार प्रस्तुतियों ने मंच पर जनजातीय संस्कृति को जीवंत बना दिया।

मुख्य अतिथि वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि बस्तर की जीवनशैली में जनजातीय गीत-संगीत, नृत्य और खानपान अनूठी पहचान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में इस विलुप्त होती लोकसंस्कृति को ‘बस्तर पंडुम’ के माध्यम से संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों के चलते छत्तीसगढ़ नक्सलवाद से मुक्ति की ओर बढ़ रहा है, जिससे विकास के नए द्वार खुलेंगे और बस्तर की समृद्ध संस्कृति को देश-दुनिया में पहचान मिलेगी।

वन मंत्री कश्यप ने कहा कि बस्तर के कोदो, कुटकी और रागी जैसे पोषक अनाजों को अब राष्ट्रीय स्तर पर अपनाया जा रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि ‘बस्तर पंडुम’ नई पीढ़ी को अपनी समृद्ध संस्कृति को समझने और अपनाने का अवसर देगा।

कलेक्टर कुणाल दुदावत ने जानकारी दी कि जिला स्तरीय आयोजन में विकासखंड स्तर पर चुने गए आठ विधाओं के विजेता प्रतिभागी शामिल हुए हैं। यहां से चयनित प्रतिभागी संभाग स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की इस पहल से बस्तर की संस्कृति को नई पहचान मिल रही है।

नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष नरपति पटेल ने कहा कि बस्तर पण्डुम के माध्यम से हमारी संस्कृति को संरक्षित करने की पहल राज्य शासन द्वारा किया जा रहा है। इससे बस्तर की लोक संस्कृति को नई पहचान के साथ सम्मान भी मिलेगा। पूर्व विधायक सेवकराम नेताम ने भी इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के प्रयास से यह आयोजन बस्तर की लोक संस्कृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

इस अवसर पर जनजातीय व्यंजनों, शिल्पकला, पारंपरिक आभूषण और वेशभूषा का भव्य प्रदर्शन किया गया। वन मंत्री कश्यप ने विभिन्न स्टालों का अवलोकन किया और बस्तर के पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद भी लिया। उन्होंने तीखुर और अमारी शरबत का आनंद लिया, जबकि कलेक्टर दुदावत ने भी विभिन्न जनजातीय व्यंजनों का स्वाद चखा।

बस्तर पण्डुम के पारंपरिक व्यंजन स्टॉल में कुमड़ा बड़ी, बोहार भाजी, जीरा भाजी, हरवा, उड़द, कांदा, कोलयारी भाजी, इत्ता पुल्ला (आमट साग), जिमी कांदा, डांग कांदा सहित पेय पदार्थों में सल्फी, तीखुर येर, जीरा गुंडा, अमारी शरबत, गोर्रा जावा (मड़िया पेज) एवं अन्य जनजातीय पेय पदार्थों का प्रदर्शन किया गया। इसी प्रकार पारंपरिक आभूषण विधा में बस्तर के पारंपरिक आभूषणों जैसे सुता, बंधा, रुपया माला, खिनवा, डोरा, कलंगी, कौड़ी माला, पुतरी, करधन, बाहुटा, ढार, लुरकी, ऐठी, मुंदरी, फूली, पटा, बिछिया आदि का प्रदर्शन किया गया।

इस अवसर पर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष हीरासिंह नेताम, नगर पालिका के उपाध्यक्ष जसकेतु उसेंडी, दीपेश अरोरा सहित स्थानीय जनप्रतिनिधिगण और आदिवासी समाज के प्रमुखजन उपस्थित थे।

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