
नारायणपुर और कांकेर जिले की सीमा पर स्थित हुजाड़ी गांव के निवासी आयतु कावड़े उम्र 45 वर्ष अपने पूरे परिवार के साथ वर्षों से ईसा मसीह का अनुसरण करते हैं। उनकी तीन बेटियां और दो बेटे हैं। उनके सभी बच्चे वयस्क हैं।
16 जून 2025 को गांव के मुखियाओं ने ढोल बजाकर लोगों को गोटलू में बुलाया। सभी लोग एकत्र हुए और आयतु को उसके ईसाई धर्म के कारण घर से निकालने का फैसला किया।
उसका सामान घर से निकालकर दो जिलों की सीमा के बीच सड़क पर फेंक दिया गया। जवान लड़कियाँ के साथ दुर्व्यवहार किया गया। बार-बार घर वापसी के लिए दबाव बनाया गया। बेदखल करने से पहले मकान को तोड़ने की योजना बनाई थी, लेकिन आपसी मतभेद के कारण ऐसा नहीं हो सका।
कल नारायणपुर के एडका थाने में घटना की सूचना दी गई। पता चला कि गांव एडका थाने के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है। गांव कांकेर जिले के आमाबेड़ा थाने के अंतर्गत आता है, इसलिए पीड़ित पक्ष आमाबेड़ा थाने पहुंचा। पुलिस ने गांव में जाकर ग्रामीणों को समझाया कि वे पीड़ित को अपने घर में रहने दें। लेकिन ग्रामीणों ने पुलिस की एक न सुनी। जब तक वे हिंदू धर्म में वापस नहीं आते, उन्हें गांव में रहने की जगह नहीं दी जाएगी। आज भी मामला नहीं सुलझा। पीड़ित परिवार को कल थाने बुलाया गया है।
सामान सड़क पर आसमान के नीचे पड़ा है। पीड़ित परिवार ने 6 किलोमीटर दूर एक गांव में शरण ली है। इस परिवार को पहले भी घर वापसी के लिए दबाव बनाया गया था। इस बार पाँचवीं बार गाँव की बैठक हुई। परिवार ने बार-बार घोषणा की कि, “हम घर वापसी नहीं करेंगे” गाँव वालों और पुलिस दोनों के सामने।
चार साल पहले दो परिवारों (मंगलू नेताम परिवार और लछिन दुग्गा परिवार) को इस गाँव से निकाल दिया गया था। अभी भी वे दो परिवार मसीह की खातिर अपना सारा सामान और संपत्ति छोड़कर दूसरे गाँव में विस्थापित हो गए हैं।
सताए गए लोगों के लिए तत्काल राहत खाद्य पदार्थ हैं। कृपया उनकी सुरक्षा और उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए प्रार्थना करें।
धन्यवाद।