
“कागज़ पर कार्रवाई… ज़मीन पर कब्ज़ा बरकरार! आखिर किसके इशारे पर बच रहा रतनपुर का फार्म हाउस?”
रतनपुर—-धार्मिक नगरी रतनपुर में कानून और प्रशासनिक इच्छाशक्ति की परीक्षा का एक और मामला सामने आया है — जहां तालाब के पार बने अवैध पोल्ट्री फार्म हाउस पर बेदखली का आदेश तो जारी हुआ, लेकिन जमीन पर अब तक एक ईंट भी नहीं हिली।दुलहरि तालाब के पार जिस सार्वजनिक भूमि पर आलीशान फार्म हाउस बनाकर पोल्ट्री कारोबार चलाया जा रहा है, उस पर स्थानीय पार्षद और मोहल्ले वासियों ने महीने भर पहले नगरपालिका में शिकायत की थी।
शिकायत में स्पष्ट किया गया था कि भूमि पर बिना अनुमति के कब्जा किया गया है और सार्वजनिक संपत्ति से निजी लाभ कमाया जा रहा है।शिकायत के बाद तहसीलदार ने मामले को गंभीर मानते हुए नोटिस जारी कर दस्तावेज मांगे, लेकिन फार्म संचालक एक भी वैध दस्तावेज नहीं दिखा सका। फलस्वरूप, बेदखली का आदेश जारी कर दिया गया।
📌 फिर भी कार्रवाई ठप! सवालों के घेरे में प्रशासन…
अब बड़ा सवाल यह है कि जब सब कुछ साफ है, तो कार्रवाई में देरी क्यों?
क्या प्रशासन किसी दबाव में है? या फिर कोई अंदरूनी सांठगांठ मामले को दबा रही है?
स्थानीय निवासी खुलकर कह रहे हैं —
> “एक महीने से ज्यादा हो गए, लेकिन फार्म वहीँ खड़ा है! नोटिस तो एक औपचारिकता लगती है।”
🔍 जनता तैयार कर रही अगला कदम…
वार्ड 3 के लोगों ने अब जनदर्शन में सीधी शिकायत की तैयारी शुरू कर दी है। मोहल्लेवासियों का कहना है कि
> “अगर शासन नहीं जागा तो हम सब धरने पर बैठने मजबूर होंगे।”
❓ प्रशासन की चुप्पी के पीछे राज क्या है?
इस मामले ने पुराने प्रशासनिक रवैये की याद दिला दी है — जब फाइलें चलती थीं, लेकिन कार्रवाई ज़मीन पर नहीं दिखती थी।
अब लोगों की उम्मीदें नए अफसरों से हैं, लेकिन सवाल वही है —
क्या इस बार अवैध कब्जाधारी के खिलाफ बुलडोजर चलेगा या फिर ‘ऊंची पहुंच’ के आगे फिर नतमस्तक होगा सिस्टम?