
रतनपुर/कोटा——बिलासपुर जिले का कोटा थाना क्षेत्र इन दिनों शराबखोरी के गढ़ में तब्दील हो चुका है। यहां के कई होटल अब केवल रुकने या खाने के स्थान नहीं, बल्कि रातभर खुला रहने वाला ‘अवैध बार’ बन चुके हैं। इनमें बिना लाइसेंस धड़ल्ले से शराब परोसी जा रही है, और यह सब कुछ थाना पुलिस और आबकारी विभाग की सीधी नाक के नीचे हो रहा है।
इस पूरी व्यवस्था में कहीं कोई रोकटोक नहीं है। सवाल उठता है – आखिर कौन दे रहा है इन्हें संरक्षण?
स्थानीय लोगों ने बताया कि ये होटल देर रात तक शराब परोसते हैं, कई बार झगड़े, हुड़दंग और हंगामे भी होते हैं, जिससे इलाके का माहौल पूरी तरह बिगड़ गया है। इन जगहों पर नशे में धुत ग्राहक, तेज़ म्यूजिक, और संदिग्ध गतिविधियाँ आम बात हो गई है।
स्थानीय नागरिकों ने बार-बार शिकायतें कीं, लेकिन न तो आबकारी विभाग और न ही पुलिस प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई की है।
ऐसे में ये सवाल ज़रूरी हो जाता है कि —
“क्या ये अफसर आंख मूंद कर बैठे हैं, या फिर उन्हें भी शराब माफियाओं से कोई ‘हिस्सा’ मिल रहा है?”
विशेष रूप से कोटा के युवा वर्ग पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। अवैध रूप से परोसी जा रही शराब न सिर्फ कानून का उल्लंघन है, बल्कि सामाजिक पतन की ओर भी एक खतरनाक इशारा है।
जानकारों की मानें तो –
इन होटलों में कई बार नाबालिगों को भी शराब परोसी जाती है, जिससे ये अपराध का सीधा मामला बनता है। इसके बावजूद, कार्रवाई की बजाय प्रशासनिक चुप्पी ही जवाब बन गई है।
🔍 जनता का सीधा सवाल प्रशासन से:
जब होटल में बिना लाइसेंस शराब परोसी जा रही है, तो आबकारी विभाग क्यों मौन है?
जब देर रात तक शोरगुल, झगड़े और अव्यवस्था फैल रही है, तो कोटा पुलिस क्या कर रही है?
क्या प्रशासनिक चुप्पी किसी ‘सौदेबाज़ी’ का संकेत है?
⚠️ जनता की चेतावनी:
यदि प्रशासन ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो कोटा क्षेत्र की जनता बड़े आंदोलन का रुख अपनाएगी। नगर में शांति और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए ये अवैध शराब कारोबार तुरंत बंद होना चाहिए।
अब देखना यह है कि प्रशासन जागता है या शराब माफियाओं के दबाव में आंख मूंदे बैठा रहता है।
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