
कृषक सन्तुराम की सफलता की कहानी
नारायणपुर,’:–; जिले के छोटे से ग्राम आतरगांव में रहने वाले सन्तुराम, पिता गिजरूराम, एक सामान्य किसान हैं। वे पारंपरिक तरीके से खेती करके अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे थे। खेत में मेहनत तो खूब होती थी, लेकिन आमदनी में लगातार गिरावट आ रही थी। एक ही तरह की पारंपरिक फसलें उगाने से उत्पादन में कमी आ रही थी और लागत बढ़ती जा रही थी, जिससे सन्तुराम की आर्थिक स्थिति कमजोर हो रही थी।
बदलाव की शुरुआत
एक दिन सन्तुराम को उद्यानिकी विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी मिली। उन्होंने न सिर्फ इन योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी ली, बल्कि खुद को नए तरीके की खेती के लिए तैयार किया। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत उन्हें भिण्डी, लौकी और करेला जैसी उद्यानिकी फसलों को अपनाने का सुझाव मिला।
तकनीक और नई सोच से नई शुरुआत
सन्तुराम ने उन्नत तकनीकों का उपयोग करते हुए इन तीनों सब्जियों की खेती की शुरुआत की। उन्होंने 50 हजार रूपए की लागत से फसल तैयार की। मेहनत और सही मार्गदर्शन का फल जल्द ही दिखने लगा।
मेहनत का फल
फसल तैयार होने पर सन्तुराम को करीब 80 से 90 हजार रूपए तक की आमदनी हुई। इस आमदनी से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ, बल्कि उनके परिवार का जीवन भी बेहतर हुआ। अब सन्तुराम के चेहरे पर आत्मविश्वास और संतुष्टि की चमक साफ दिखाई देती है। सन्तुराम की सफलता को देखकर अब आसपास के गांवों के किसान भी प्रेरित हो रहे हैं। वे भी उद्यानिकी फसलों की ओर बढ़ रहे हैं और सन्तुराम से मार्गदर्शन ले रहे हैं।