
रतनपुर/बिलासपुर :—
छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक धार्मिक नगरी रतनपुर, जो महामाया मंदिर की आस्था से पहचानी जाती है, आज एक नई उम्मीद, एक नई सुबह की ओर कदम बढ़ा चुकी है। वर्षों से पीने के पानी की किल्लत से जूझते इस नगर में अब ‘अमृत मिशन’ की सौगात एक वरदान बनकर आई है।एक समय था जब इस नगर की महिलाएं मीलों दूर तक सिर पर मटकी उठाकर पानी लाने जाती थीं। गर्मियों में हैंडपंप सूख जाते, टैंकरों के लिए झगड़े होते, और बूंद-बूंद पानी की तलाश में बच्चों को भी स्कूल छोड़ना पड़ता। लेकिन अब इस पीड़ा का अंत करीब है। क्योंकि 78 करोड़ रुपए की लागत से रतनपुर में जल क्रांति का श्रीगणेश हो चुका है।
नगरपालिका इंजीनियर सिरिल भास्कर ने बताया कि अमृत मिशन के अंतर्गत रतनपुर में—
4 विशाल ओवरहेड वॉटर टैंक का निर्माण किया जा रहा है
अत्याधुनिक वाटर ट्रीटमेंट और रीक्लेमेशन प्लांट बन रहा है
हर वार्ड, हर गली तक नई पाइप लाइन बिछाई जा रही है
कुल मिलाकर यह योजना 35 हजार से अधिक की आबादी को जीवनदायी जल पहुंचाने का माध्यम बनेगी
इस ऐतिहासिक योजना की शुरुआत वार्ड क्रमांक 1के जोगी अमराई से हो चुकी है, जहाँ कार्य तीव्र गति से चल रहा है।
पानी की पीड़ा, जो पीढ़ियों तक चली…
रतनपुर के कई परिवार ऐसे हैं जिन्होंने तीन-तीन पीढ़ियों तक पानी के लिए संघर्ष किया है।
वार्ड 5 की शांति बाई (उम्र 65 वर्ष) बताती हैं:
> “हमने अपने बच्चों को पानी की तलाश में बड़ा होते देखा है। सुबह 4 बजे उठकर कुएं से बाल्टी खींचना, गर्मियों में टंकी के नीचे घंटों खड़ा रहना – यही जीवन था। अब जब यह योजना आ रही है, तो लगता है जैसे भगवान ने अब हमारी पुकार सुन ली।”
नगरपालिका अध्यक्ष लवकुश कश्यप की संवेदनशील सोच–
रतनपुर नगरपालिका अध्यक्ष लवकुश कश्यप ने इस योजना को सिर्फ एक सरकारी प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि जनता के स्वाभिमान से जुड़ी जिम्मेदारी माना। वे खुद लगातार हर वॉर्ड का निरीक्षण कर रहे हैं, अधिकारियों के साथ समन्वय बनाकर कार्यों की गति को तेज कर रहे हैं।
अध्यक्ष कश्यप ने कहा
> “रतनपुर की जनता को अब टैंकर के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा। पानी उनका अधिकार है, और हम उसे उनके द्वार तक पहुँचाएंगे। यह योजना सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं, यह एक सपना है – एक ऐसा सपना जिसमें कोई मां अब अपने बच्चे को प्यासा नहीं सुलाएगी, कोई बुजुर्ग अब कुएं पर धक्का नहीं खाएगा।”
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2011 से 2025 – जनसंख्या बढ़ी, पर पानी नहीं बढ़ा… अब बदलेगा वक्त
2011 की जनगणना में रतनपुर की जनसंख्या करीब 25,000 थी, जो अब अनुमानतः 35,000 से ऊपर है। इतने वर्षों में आबादी तो बढ़ी, लेकिन पानी की आपूर्ति उसी पुरानी व्यवस्था पर टिकी रही।अब अमृत मिशन एक सस्टेनेबल और आधुनिक समाधान लेकर आया है, जिसमें शुद्ध जल, नियमित आपूर्ति और तकनीकी निगरानी सबकुछ शामिल है।
जनता में राहत और भरोसे की लहर
वार्ड 1के तिरथ पाव , जो पहले हर दिन टंकी के नीचे लाइन लगाते थे, कहते हैं:
> “पहली बार लगा कि सरकार ने हमारी बात सुनी है। अब हम भी चैन से सुबह उठेंगे, नहाएंगे, बच्चे स्कूल समय पर जाएंगे। ये सिर्फ पानी नहीं – इज्ज़त है, आराम है, ज़िन्दगी है।”
जल ही जीवन नहीं, अब यह रतनपुर की नई पहचान बनेगा
जब हर गली, हर मोहल्ले में अमृत जैसे पानी की बूंदें टपकेंगी, तो यह योजना केवल भवनों और पाइपों का जाल नहीं रह जाएगी, यह एक सांस्कृतिक बदलाव का प्रतीक बनेगी।रतनपुर अब अपनी धार्मिक गरिमा के साथ-साथ जल प्रबंधन की मिसाल भी बन सकता है।
अमृत बहेगा हर नल से हर दिल तक –
अमृत मिशन रतनपुर के लिए किसी सौभाग्य से कम नहीं। यह परियोजना उस नगर को नया जीवन दे रही है, जो वर्षों तक प्यासा रहा, अनसुना रहा, अनदेखा रहा। अब उम्मीद है कि आने वाली पीढ़ियां केवल कहानियों में ही सुनेंगी कि रतनपुर कभी पानी के लिए रोता था। क्योंकि अब यहाँ अमृत बहेगा – हर नल से, हर दिल तक।