
रतनपुर :—
छत्तीसगढ़ की प्राचीन पावन भूमि रतनपुर, जहाँ माँ महामाया की कृपा हर घर-आँगन में बरसती है, अब इतिहास रचने जा रही है। इस धरती की कोख से जन्मी बेटी कैप्टन प्राची शर्मा, जिन्होंने भारत की सीमाओं पर डटकर देश की रक्षा की, पहली बार सैन्य वर्दी में अपने नगर लौट रही हैं। रतनपुर का कण-कण गर्व से गूंज रहा है — यह स्वागत केवल एक अधिकारी का नहीं, बल्कि एक वीर नारी, एक प्रेरणा स्रोत, और माँ महामाया की तपस्विनी संतान का है।
आपको बता दे कि कैप्टन प्राची शर्मा ने जनवरी 2023 में कर्नाटक के बेलगांव स्थित आर्मी ट्रेनिंग सेंटर से भारतीय सेना में अपने सैन्य सफर की शुरुआत की। सैन्य अनुशासन, नेतृत्व क्षमता और राष्ट्र सेवा के प्रति उनकी निष्ठा ने जल्द ही उन्हें विशेष पहचान दिलाई।केवल चार माह के भीतर ही उन्हें लखनऊ में कैप्टन पद के विशेष प्रशिक्षण के लिए चुना गया — यह प्रशिक्षण आसान नहीं था, मगर प्राची ने साबित कर दिया कि रतनपुर की बेटियाँ सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं, वे बंदूक भी उठा सकती हैं और देश की आन, बान, शान की रक्षा कर सकती हैं।25 जुलाई 2023 को प्रशिक्षण पूर्ण होते ही उन्हें जम्मू-कश्मीर के सामरिक दृष्टि से अति संवेदनशील साम्बा सेक्टर में नियुक्त किया गया — जहाँ हर दिन दुश्मन की निगाहें सरहद को लांघने की कोशिश करती हैं।
कैप्टन प्राची ने वहां “ऑपरेशन सिंदूर” जैसे जोखिम भरे अभियानों में भाग लिया और अत्यंत विषम परिस्थितियों में मातृभूमि की रक्षा की। वे न केवल एक सैनिक थीं, बल्कि पूरे यूनिट के लिए साहस, नेतृत्व और सहानुभूति की प्रतिमूर्ति बन गईं।
रतनपुर कर रहा है स्वागत की तैयारी:
अब एक वर्ष पश्चात, जब कैप्टन प्राची पहली बार अपने नगर लौट रही हैं, तो रतनपुर का हर दिल गर्व से धड़क रहा है। महामाया चौक पर उनका शौर्य सलामी स्वागत तय किया गया है। नगर पालिका, सामाजिक संगठन, शिक्षण संस्थान और आम जनता — सब एकजुट हैं।स्कूली छात्राएँ आरती की थाल लिए कतार में होंगी।ढोल-नगाड़ों की गूंज के साथ “भारत माता की जय” के नारे गूंजेंगे।
बेटियों के लिए बनी प्रेरणा:
कैप्टन प्राची की यह उपलब्धि न सिर्फ रतनपुर के लिए, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात है। वे उन अनगिनत बेटियों के लिए उम्मीद की किरण हैं, जो आज भी अपने सपनों के रास्ते में समाज की दीवारों से टकरा रही हैं।
उन्होंने यह साबित कर दिया कि
> “बेटियाँ अब बंधनों की नहीं, बंदूकों की साथी हैं।वे चूल्हा नहीं, सीमा भी संभाल सकती हैं।
वो फूल भी हैं और फौलाद भी।”
परिवार और नगरवासियों की प्रतिक्रिया:
कैप्टन प्राची के माता-पिता ने कहा —
“हमारी बेटी ने हमें नहीं, पूरे नगर को गौरवान्वित किया है। माँ महामाया की कृपा से उसे जो ताक़त मिली, वह अब देश को समर्पित है।”
नगर पालिका अध्यक्ष लवकुश कश्यप ने कहा —
“यह सिर्फ स्वागत नहीं, एक युग की शुरुआत है — जब बेटियाँ नायक बनेंगी और नगर उनका जयघोष करेगा।”नमन उस माँ को, जिसने प्राची जैसी बेटी को जन्म दिया।नमन उस बेटी को, जो सरहद से रतनपुर लौटी है।
जय हिंद। जय वीरांगना। जय माँ महामाया।**