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बिना अनुमति बहता भूजल, चुपचाप बिकता जीवन: गिधौरी में जल का व्यापार, प्रशासन मौन”

रतनपुर से रवि ठाकुर की रिपोर्ट
रतनपुर से रवि ठाकुर की रिपोर्ट

कुएं सूखते रहे, बोतलें भरती रहीं: गिधौरी में जल संकट की बुनियाद खुद विभाग ने रखी

 

धांधली की जड़ें गहरी: गिधौरी में बिना अनुमति सालों से चल रहा मिनरल वॉटर प्लांट, प्रशासन बेखबर या शामिल?

 

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रतनपुर /गिधौरी/ बिलासपुर—छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के गिधौरी गांव में “हर्षराज बेवरेज” के नाम से संचालित क्रोमेटिक पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर फैक्ट्री पिछले कई वर्षों से बिना किसी वैधानिक अनुमति के खुलेआम भूजल का दोहन कर रही है। न जल संसाधन विभाग की अनुमति, न ही कोई लाइसेंस — और न ही जल कर का भुगतान।यह खबर तब और चौंकाती है जब जल संसाधन विभाग, बिलासपुर से सूचना के अधिकार (RTI) के माध्यम से जवाब प्राप्त हुआ कि —“हर्षराज बेवरेज अथवा क्रोमेटिक ड्रिंकिंग वॉटर फैक्ट्री द्वारा विभाग में कोई आवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया है, और न ही उनके पक्ष में कोई NOC या जल उपयोग की स्वीकृति दी गई है।”
फिर सवाल उठता है — तो यह फैक्ट्री जल कहां से और किस अधिकार से खींच रही है?

वर्षों से जारी है जल का अवैध दोहन

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह मिनरल वॉटर फैक्ट्री हर दिन सैकड़ों घन मीटर भूजल खींच रही है, जिसे बोतलों में भरकर महंगे दामों में बाज़ार में बेचा जा रहा है।


यह सब उस समय हो रहा है जब ग्रामीण क्षेत्र के लोग गर्मियों में एक बाल्टी पानी के लिए परेशान रहते हैं।

विभागीय मिलीभगत का संदेह गहराया

स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि विभाग की चुप्पी सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि मिलीभगत है।अगर यह फैक्ट्री सालों से चल रही है, तो फिर
👉 किसी ने निरीक्षण क्यों नहीं किया?
👉 न जलकर जमा हुआ, न नोटिस जारी हुआ — क्यों?
👉 आखिर प्रशासन की आंखों पर ये पट्टी किसने बांधी है?

ग्रामीणों की बाइट:

दिलीप वर्मा (ग्राम गिधौरी, किसान):

> “गांव में पानी की किल्लत बढ़ रही है, और फैक्ट्री हर दिन मोटर चला के हजारों लीटर पानी खींचती है। हमें तो हैंडपंप भी जवाब दे देता है, लेकिन उनकी मशीनें दिन-रात चलती रहती हैं।”

राजेन्द्र निषाद (सामाजिक कार्यकर्ता):

> “यह सीधे-सीधे जल कानूनों का उल्लंघन है। हमने RTI के माध्यम से जानकारी मांगी तो पूरा मामला सामने आया। अब हम इसकी शिकायत राज्य स्तर पर भी दर्ज कराएंगे।”

अब जनता पूछ रही है — “कब रुकेगा जल का यह व्यापार?”

जल संसाधन विभाग, उद्योग विभाग और जिला प्रशासन की चुप्पी ने कई सवालों को जन्म दिया है। यदि आज कार्रवाई नहीं हुई, तो कल यह भूजल संकट पूरे क्षेत्र को प्रभावित करेगा।

जनहित याचिका और शिकायतें दर्ज की जा रही हैं

जल संरक्षण से जुड़े कई कार्यकर्ताओं और स्थानीय संगठनों ने इस पूरे प्रकरण पर राज्य जल आयोग, एनजीटी और मुख्यमंत्री कार्यालय को शिकायत भेजने की तैयारी की है। साथ ही जनहित याचिका दाखिल करने की भी बात कही जा रही है।

ग्रामीणों की मांग

1. फैक्ट्री पर तत्काल रोक लगाई जाए।
2. वर्षों के अवैध जल दोहन की वसूली हो।
3. संबंधित अधिकारियों की भूमिका की जांच हो।
4. स्थानीय जल स्रोतों की स्थिति की व्यापक रिपोर्ट बनाई जाए।

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वेबसाइट में प्रकाशित खबरों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है समाचार की विषयवस्तु संवाददाता के विवेक पर निर्भर यह एक हिंदी न्यूज़ वेबसाइट है, जिसमें छत्तीसगढ़ सहित देश और दुनिया की खबरें प्रकाशित की जाती हैं। वेबसाइट पर प्रकाशित किसी भी समाचार से संबंधित कानूनी विवाद की स्थिति में केवल बिलासपुर न्यायालय की ही मान्यता होगी।

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