रवि राज रजक की रिपोर्ट
बेलगहना/खोंगसरा;—
आदिवासी अंचल के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की मनमानी से बच्चों की शिक्षा बुरी तरह प्रभावित हो रही है। कई शिक्षक नियमित रूप से शाला समय के पहले ही अपने घर के लिए रवाना हो जाते हैं। खासकर वे शिक्षक जो ट्रेन से अपडाउन करते हैं, सुबह 10 से 11 बजे के बीच स्कूल पहुंचते हैं और 12 से 1 बजे की ट्रेन पकड़ने स्टेशन की ओर निकल जाते हैं।
ग्रामीणों में बढ़ रहा असंतोष
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षक मुश्किल से कुछ घंटे ही स्कूल में बिताते हैं, जिसके कारण बच्चों को समय पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है। अब ग्रामीणों का सब्र जवाब दे रहा है और वे कलेक्टर को ज्ञापन देने की तैयारी में हैं।
शिक्षा अधिकारी नहीं करते निगरानी
जंगल से लगे क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी शायद ही कभी निरीक्षण के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में शिक्षकों को खुली छूट मिली हुई है।
संकुल समन्वयक के दावे पर उठे सवाल
संकुल समन्वयक त्रिलोक सिंह ओट्टी ने दावा किया कि उनके क्षेत्र के सभी शिक्षक उपस्थित रहते हैं। लेकिन जब मीडिया की टीम प्राथमिक शाला छपरा पारा पहुंची, तो वहां के शिक्षक स्टेशन पर ट्रेन पकड़ने की तैयारी में मिले। पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि वे FLN के मास्टर ट्रेनर हैं और ट्रेनिंग हेतु कोटा जा रहे हैं।
माध्यमिक स्कूल के शिक्षक भी समय से पहले रवाना
उच्चतर माध्यमिक शाला खोंगसरा के सभी स्टाफ को ग्रामीणों ने 2:30 बजे बस से घर जाते देखा। इस पर उपसरपंच और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने नाराजगी जाहिर की है।
जिला शिक्षा अधिकारी की कार्रवाई बेअसर
पिछले माह जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा आकस्मिक निरीक्षण किया गया था, जिसमें सभी शिक्षक बच्चों को छुट्टी देकर जा चुके थे। नोटिस जारी हुए, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
जनप्रतिनिधियों ने खोला मोर्चा
रामेश्वर सिंह राजपूत (अध्यक्ष, भाजपा मंडल बेलगहना) ने बताया कि उन्होंने कलेक्टर और मंत्री को पत्र लिखकर तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
प्रीतम सिंह चौधरी (उपसरपंच, आमागोहन) ने चेतावनी दी है कि यदि स्थिति नहीं सुधरी तो शाला प्रबंधन की बैठक कर तालाबंदी जैसा कदम भी उठाया जाएगा।
प्रदीप शर्मा( सामाजिक कार्यकर्ता) – आदिवासी क्षेत्रों में मूलभूत सुविधा से लेकर शिक्षको की अनियमितता को लेकर लगातार शिकायत की जाती है पर अधिकारियों की उदाशीनता ने इस पर कोई काम नही किया है। प्रशासन पर सवाल खड़ा करता है।
इस तरह की लापरवाही से आदिवासी अंचल के नौनिहाल शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। यदि समय रहते विभाग ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो आने वाले समय में यह समस्या और गंभीर हो सकती है।