
रतनपुर (बिलासपुर):—
रतनपुर थाना क्षेत्र की सड़कों पर बीते दिनों जो मंजर दिखा, उसने हर संवेदनशील हृदय को झकझोर दिया। सोमवार की रात तेज रफ्तार वाहन से कई बेजुबान गोवंशों की दर्दनाक मौत के बाद सड़क पर सन्नाटा था, लेकिन इसी सन्नाटे में एक संवेदनशील मुहिम ने जन्म लिया – एक ऐसा प्रयास जो सिर्फ सुरक्षा नहीं, बल्कि करुणा और कर्तव्य का जीवंत उदाहरण है।
इस दर्द को समझा लिम्हा टोल प्लाजा प्रबंधन ने, और बिना किसी प्रचार या प्रतीक्षा के बुधवार से ही एक सतत मुहिम छेड़ दी।रविवार दिन व रात को भी यह कार्य चलता रहा। रात के अंधेरे में, जब सड़कों पर गाड़ियाँ तेज रफ्तार से गुजरती हैं और मवेशी अज्ञानतावश बीच रास्ते आ जाते हैं, उस वक्त टोल प्रबंधन की टीम अपनी जान की परवाह किए बिना सड़क पर उतर रही है – मवेशियों को सड़क से खदेड़कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही है और उनके गले में रेडियम पट्टी बाँध रही है, ताकि आने-जाने वाले वाहन उन्हें दूर से पहचान सकें और अनहोनी से बचा जा सके।
टोल मैनेजर फूल सिंह राठौड़ ने कहा –
“यह हमारे लिए कोई औपचारिक ड्यूटी नहीं, बल्कि इंसानियत की पुकार है। हर उस मूक प्राणी की आँखों में जो डर है, उसे समझकर अगर हम उसकी जान बचा पाएं, तो यही असली सेवा है। यह मुहिम तब तक चलेगी जब तक सड़कों पर एक भी मवेशी असुरक्षित है।”
इस मुहिम ने दिखाई जिम्मेदारी की नई परिभाषा
बुधवार से लगातार चल रही इस पहल में टोल प्रबंधन ने केवल पट्टियाँ बाँधने तक खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि प्रत्येक रात सड़क पर गश्त कर मवेशियों को हटाने और ट्रैफिक को सुचारू रखने की जिम्मेदारी भी निभा रहा है।
स्थानीय लोगों ने भी इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि ऐसी मुहिम केवल शासन के आदेश से नहीं, संवेदनशील दिलों से चलती है।टोल प्रबंधन बना सामाजिक जिम्मेदारी का आदर्श
लिम्हा टोल ने यह साबित कर दिया कि सड़क पर केवल शुल्क लेने की जवाबदारी नहीं होती – जवाबदारी होती है जीवन बचाने की, मानवता निभाने की।
यह अभियान अब सिर्फ एक मुहिम नहीं, एक प्रेरणा बन चुका है – निजी संस्थानों और आम जनता के लिए कि यदि नीयत सही हो, तो बेजुबान जानवरों की भी हिफाज़त की जा सकती है।यह सिर्फ रेडियम पट्टी नहीं, बल्कि उजाले की एक किरण है – उन सड़कों पर, जहां अब मौत नहीं, जीवन दौड़ने लगा है।