
रतनपुर (बिलासपुर);/–
छत्तीसगढ़ की पावन धार्मिक नगरी रतनपुर, जो माता महामाया देवी की नगरी के रूप में जानी जाती है, वहां अब चुपचाप धर्मांतरण की लहर चल रही है। गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के बीच तेजी से ईसाई धर्म की ओर झुकाव देखा जा रहा है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि सामाजिक स्थिरता के लिए भी गहरी चिंता का विषय बन गया है।
आपको बता दे की रविवार को जब मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, उसी समय गरीब तबके के लोग अपने छोटे-मोटे काम छोड़कर चर्चनुमा भवनों में जुट रहे हैं। कई क्षेत्रों में यह देखा गया कि लोग अपने व्यवसाय, मेहनत-मजदूरी और घर-परिवार की जिम्मेदारियों को छोड़कर प्रार्थना सभाओं की ओर बढ़ रहे हैं। वहां न केवल धर्मोपदेश दिए जा रहे हैं, बल्कि वस्त्र, राशन, आर्थिक सहयोग जैसे साधनों से उन्हें आकर्षित किया जा रहा है।
धर्मगुरु, समाजसेवी और जनप्रतिनिधियों की बढ़ती चिंता——-
इन गतिविधियों को लेकर रतनपुर के संत समाज, स्थानीय नागरिक और सामाजिक कार्यकर्ता गहरी चिंता जता रहे हैं। उनका कहना है कि यह केवल सेवा नहीं बल्कि सुनियोजित धर्मांतरण की प्रक्रिया है, जो गरीबों की विवशता का फायदा उठा रही है।
आयोजनों का जांच हो :—
> “रतनपुर हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान का केंद्र है। यहां जिस तरह गरीबों को बहला-फुसलाकर धर्मांतरण की ओर धकेला जा रहा है, वह बेहद चिंताजनक है। हम प्रशासन से निवेदन करते हैं कि ऐसे आयोजनों की जांच हो और जरूरतमंदों को धर्म बदलने के बजाय योजनाओं से राहत मिले।”
– लवकुश कश्यप, अध्यक्ष, नगरपालिका परिषद, रतनपुर
प्रशासन की चुप्पी खल रही है——–
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि प्रशासन की निष्क्रियता से ऐसी गतिविधियाँ और अधिक फल-फूल रही हैं। न तो किसी संस्था की जांच हो रही है और न ही कोई खुला विरोध। जबकि नियमों के अनुसार किसी भी धार्मिक परिवर्तन के लिए जिला प्रशासन की पूर्व अनुमति आवश्यक होती है।
धार्मिक असंतुलन का संकेत, विरासत पर खतरा——-
रतनपुर जैसे धार्मिक शहर में इस प्रकार की घटनाएँ न केवल सनातन परंपरा के लिए खतरा हैं, बल्कि धार्मिक सौहार्द और सामाजिक संतुलन को भी कमजोर करती हैं।समाज को जागरूक होकर ऐसी गतिविधियों के विरुद्ध खड़े होना होगा और प्रशासन को भी कड़े कदम उठाने होंगे।