
नशे का अड्डा बनता जा रहा मुख्य बाज़ार इलाका
नारायणपुर :—- शहर के मुख्य क्षेत्र में स्थित अंग्रेजी शराब दुकान अब केवल शराब बिक्री का केंद्र नहीं रही, बल्कि यह स्थान अराजकता, नशेड़ी तत्वों और सामाजिक असुरक्षा का गढ़ बनता जा रहा है। प्रशासन की लापरवाही और शराब माफिया की बेलगाम गतिविधियों ने इस इलाके को आम जनता के लिए नारकीय बना दिया है।
शराब लेने वालों की भीड़ से रास्ता बंद, महिलाएं असहज
हर दिन सैकड़ों शराब प्रेमी इस दुकान पर जुटते हैं। सड़क किनारे गाड़ियाँ बेतरतीब तरीके से खड़ी की जाती हैं, जिससे ट्रैफिक जाम आम बात हो गई है। स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि महिलाएं और छात्राएं इस रास्ते से गुजरने से कतराने लगी हैं। नशे में धुत लोग ना सिर्फ अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं, बल्कि राहगीरों को भी अपमानित करने से नहीं चूकते।
शराब पीकर सड़क पर ही महफिल, गंदगी और डर का माहौल
भट्टी से शराब लेकर निकलने के बाद लोग वहीं सड़क किनारे बैठकर खुलेआम सेवन करते हैं। 3 से 5 लोगों के समूह फुटपाथ पर बैठकर शराब की बोतलें खोलते हैं, जिससे पूरा इलाका नशे का अड्डा बन चुका है। चारों ओर गंदगी, प्लास्टिक ग्लास, बोतलें और उल्टी की बदबू फैली रहती है। यह क्षेत्र अब परिवार और बच्चों के लिए असुरक्षित हो गया है।
मासूमों की आंखों के सामने नशे की सीख
शराब दुकान के ठीक पीछे स्थित चिकन और मछली बाज़ार में रोज़ाना परिवार सहित लोग खरीदारी के लिए आते हैं। लेकिन भट्टी के सामने का दृश्य इतना अशोभनीय और शर्मनाक होता है कि बच्चों के मन पर गलत प्रभाव पड़ता है। क्या प्रशासन यह सब नहीं देख पा रहा, या देखकर भी आंखें मूंदे हुए है?
घटनाएं प्रशासन की नींद नहीं तोड़ पा रही हैं
हाल ही में भट्टी के सामने ट्रैफिक जाम के कारण एक महिला गिरकर घायल हो गई थी। स्कूटी क्षतिग्रस्त हो गई, महिला को अस्पताल ले जाना पड़ा। फिर भी प्रशासन ने कोई स्थायी समाधान नहीं किया। लगता है किसी बड़ी अनहोनी का इंतज़ार किया जा रहा है।
सवाल उठता है– क्या शराब माफिया और सरकार की राजस्व लालसा के आगे आम जनता की सुरक्षा और गरिमा कोई मायने नहीं रखती?
क्या अंग्रेजी शराब दुकानें आम जनता के लिए विकास का प्रतीक हैं, या विनाश का कारण?
*यह खबर शराब दुकान की सच्चाई को सामने लाने के लिए है। प्रशासन यदि अब भी मौन रहा, तो यह मौन एक दिन आम जनविरोध का रूप ले सकता है।