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मां को समर्पित हरियाली, शहीदों को हरित श्रद्धांजलि : महामाया महाविद्यालय में ‘एक पेड़ मां के नाम’ कार्यक्रम से गूंजा पर्यावरण प्रेम

रतनपुर से रवि ठाकुर की रिपोर्ट
रतनपुर से रवि ठाकुर की रिपोर्ट

एक वृक्ष माँ के नाम” — शहादत की स्मृति में ममता और मिट्टी को समर्पित संकल्प

रतनपुर, :—
कभी-कभी एक छोटा सा कार्य भी भावनाओं का ऐसा ज्वार बन जाता है, जो दिलों को भीतर तक छू जाता है। कारगिल विजय दिवस पर शासकीय महामाया महाविद्यालय, रतनपुर में ऐसा ही दृश्य सामने आया, जब विद्यार्थियों ने शहीदों की स्मृति और अपनी माँ की ममता को समर्पित करते हुए एक-एक पौधा रोपा।

यह कार्यक्रम केवल वृक्षारोपण नहीं था, यह एक श्रद्धांजलि थी – वीरों के बलिदान को, माँ के ममत्व को, और धरती की करुण पुकार को।“एक वृक्ष माँ के नाम” — इस सुंदर पहल ने विद्यार्थियों और उपस्थितजनों को भावुक कर दिया। जब बेटा अपनी माँ के नाम एक पौधा लगाता है, तो उसमें ममता भी होती है, संरक्षण भी और संकल्प भी।

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मुख्य अतिथि नगर पालिका अध्यक्ष लवकुश कश्यप ने कहा –

> “हम जब देश के लिए जान देने वाले सपूतों को याद करते हैं, तब हमें यह भी सोचना चाहिए कि हम क्या कर रहे हैं उनके सपनों के लिए? माँ के नाम एक वृक्ष लगाकर हम न केवल ममता का सम्मान करते हैं, बल्कि देश, समाज और पर्यावरण के प्रति अपना फर्ज भी निभाते हैं।”

प्राचार्य डॉ. डी. डी. कश्यप ने इसे कर्तव्य और करुणा का संगम बताते हुए कहा –

> “कारगिल विजय दिवस पर वृक्षारोपण एक श्रद्धांजलि है वीर शहीदों को और कृतज्ञता है धरती माँ को। माँ जन्म देती है और वृक्ष जीवन। यह पहल विद्यार्थियों के मन में प्रकृति और परिवार के प्रति नई चेतना जगाएगी।”

कार्यक्रम में नगर के पार्षदगण, जनभागीदारी समिति, प्राध्यापकगण, अधिकारी-कर्मचारी और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ शामिल रहे।
हर किसी ने अपनी माँ के नाम एक पौधा लगाया, और यह कहते हुए आशीर्वाद माँगा –
“माँ, जैसे तूने मुझे जीवन दिया, ये वृक्ष आने वाली पीढ़ियों को जीवन देगा।”

भावनाओं का ऐसा सागर बहा कि कुछ आँखें नम हो गईं। किसी ने अपनी दिवंगत माँ के नाम पौधा लगाया, तो किसी ने जीवित माँ को पास बिठाकर रोपण किया।चारों ओर एक ही भावना – “माँ की ममता, शहीदों की शहादत और धरती की पुकार।”

प्रो. देवलाल उइके ने कार्यक्रम का समापन करते हुए कहा –

> “‘एक वृक्ष माँ के नाम’ एक संदेश नहीं, एक आंदोलन है – जो हर बेटे-बेटी से कहता है कि माँ सिर्फ इंसान नहीं होती, कभी वह वृक्ष बनकर छांव देती है, कभी धरती बनकर सब सहती है। इस पहल को हमें जीवन भर निभाना है।”

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