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रतनपुर से केंवची तक 311 करोड़ का नेशनल हाईवे सड़क को बाहुबली कंस्ट्रक्शन बना रहा भ्रष्टाचार का बायपास

रतनपुर से रवि ठाकुर की रिपोर्ट
रतनपुर से रवि ठाकुर की रिपोर्ट

रतनपुर से केंवची तक बनने वाली सड़क दरकने लगी, देश के दूसरे राज्यों से जुड़ने वाला यह मार्ग बन रहा है मौत की गली

 

311 करोड़ की ‘घोटाला हाईवे’: सड़ रही सड़क, दरक रही जवाबदेही

 

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रतनपुर—-केंवची राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) — यह कोई आम सड़क नहीं है। यह निर्माणाधीन हाइवे छत्तीसगढ़ को देश के अन्य प्रमुख प्रांतों से जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण संपर्क मार्ग है। लेकिन जिस तरह से इस परियोजना में ठेकेदार और विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार की परतें चिपकी हैं, वह पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा करता है।छत्तीसगढ़ के रतनपुर से केंवची तक 311 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा राष्ट्रीय राजमार्ग, अब “विकास” की मिसाल नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार की गवाही बनता जा रहा है। यह वही सड़क है जो छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों से जोड़ती है, लेकिन आज इसकी हालत देखकर देश की सड़क योजनाओं पर से जनता का विश्वास डगमगाने लगा है।

बनते ही सड़क में दरारें, गड्ढे, धंसाव और बदबूदार बजबजाहट सामने आने लगी है। कई जगह तो सड़क के किनारे की मिट्टी धंसकर दुर्घटना को न्योता देने लगी है। ऐसा लग रहा जैसे डामर के नीचे भ्रष्टाचार की मोटी परत बिछाई गई हो।

बाहुबली कंस्ट्रक्शन का गोरखधंधा – सवालों के घेरे में

सड़क का निर्माण कर रही है ‘बाहुबली कंस्ट्रक्शन’, लेकिन इनके काम की हालत देखकर जनता कह रही है – “नाम बाहुबली, काम फर्जीबली।”
सड़क निर्माण में घटिया सामग्री, अधूरी परतें और पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं। मानो सड़क सिर्फ कागजों पर मजबूत और ज़मीन पर लाचार है।

311 करोड़ की योजना, मगर सूचना बोर्ड गायब!

एक ओर इतना बड़ा बजट, दूसरी ओर एक अदद सूचना बोर्ड तक नहीं लगाया गया। यह सीधा दर्शाता है कि ठेकेदार और अधिकारियों ने मिलकर जनता से जानबूझकर जानकारी छिपाई है।


विभाग के अधिकारी भी इतनी गंभीर अनदेखी के बावजूद चुप हैं — यह चुप्पी कोई साधारण लापरवाही नहीं, बल्कि मिलीभगत की संकेत है।

चौड़ाई में मनमानी, किनारों पर खतरनाक लापरवाही

राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण के नियमों के अनुसार सड़क की चौड़ाई समान होनी चाहिए, किन्तु इस सड़क पर कहीं चौड़ाई अधिक, कहीं बेहद कम देखने को मिल रही है।डामर के बाद दोनों किनारों पर पैदल पथ यानी साइड सोल्डर बनाना अनिवार्य होता है, लेकिन यहां तो सड़क के सीधे गड्ढों में गिरने का रास्ता बना दिया गया है।

विभागीय मौन – क्या सब कुछ सेट है?

जिन बातों पर तत्काल संज्ञान लेना चाहिए था, वहां अधिकारियों की चुप्पी और निष्क्रियता कई सवाल खड़े कर रही है —


क्या ये सब पहले से तय था?
क्या ‘सड़क’ सिर्फ बिल भरने का जरिया बन गई है?

यह सिर्फ छत्तीसगढ़ नहीं, देश की जीवनरेखा का सवाल है!

यह मार्ग न केवल रतनपुर को बल्कि पूरे प्रदेश को दूसरे राज्यों से जोड़ता है।
इसका इतना घटिया निर्माण न केवल राज्य को शर्मसार कर रहा, बल्कि पूरे देश के अंतर्राज्यीय सड़क नेटवर्क को असुरक्षित बना रहा है।
ट्रांसपोर्ट, रक्षा, कृषि और व्यापार – सब पर असर पड़ेगा।

जनता अब सवाल पूछ रही है – जवाब कौन देगा?

311 करोड़ में आखिर बनाया क्या जा रहा है ?

गुणवत्ता परीक्षण कब और किसने किया?

ठेकेदार पर अभी तक कार्यवाही क्यों नहीं?

विभागीय अधिकारियों पर चुप्पी क्यों?

✊ जनता की 6 प्रमुख मांगें – अब चुप्पी नहीं चलेगी:—–

1. CBI या उच्चस्तरीय न्यायिक जांच हो।

2. बाहुबली कंस्ट्रक्शन को ब्लैकलिस्ट किया जाए।

3. विभागीय अफसरों की भूमिका की गहन जांच हो।

4. सूचना बोर्ड और योजना का पूरा विवरण सार्वजनिक किया जाए।

5. गुणवत्ता की पुनः जांच स्वतंत्र एजेंसी से करवाई जाए।

6. जिम्मेदारों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज हो।

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