
रतनपुर – विश्व प्रसिद्ध माँ महामाया मंदिर ट्रस्ट इन दिनों एक बार फिर विवादों के घेरे में है। वजह है “कछुआ कांड” के आरोपियों की संभावित वापसी को लेकर उठ रहे सवाल। मंदिर ट्रस्ट में आगामी 10 अगस्त को अध्यक्ष पद का चुनाव होने जा रहा है, जिसके बाद पूरी कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा। ऐसे में नगर में यह चर्चा जोरों पर है कि क्या इस बार भी विवादास्पद चेहरों को पदाधिकारी बनाया जाएगा?
न्यायालय से जमानत पर हैं आरोपी
महामाया कुंड में हुए 23 कछुओं की मौत के मामले ने पूरे क्षेत्र में आक्रोश की लहर फैला दी थी। इस शर्मनाक घटना में ट्रस्ट के तत्कालीन उपाध्यक्ष सतीश शर्मा सहित अन्य लोगों पर गंभीर आरोप लगे।
वन विभाग द्वारा नामजद किए जाने के बाद आरोपी काफी समय तक फरार रहे, और आखिरकार न्यायालय से जमानत लेकर बाहर आए।यह सिर्फ एक कांड नहीं था, बल्कि मंदिर की गरिमा और आस्था पर सीधा हमला था। कुंड की जैवविविधता के साथ खिलवाड़ और ट्रस्ट की कार्यशैली पर लगे दाग आज भी लोगों के ज़ेहन में ताजा हैं।
अब जब चुनाव की घड़ी नज़दीक है, नगरवासियों में गहरी चिंता और नाराजगी है कि क्या ऐसे जमानत पर चल रहे आरोपियों को फिर से ट्रस्ट की ज़िम्मेदारी सौंपी जाएगी?
लोग पूछ रहे हैं:-
क्या एक बार फिर ट्रस्ट को विवादों में धकेला जाएगा?
क्या पदों का बंटवारा नैतिकता और योग्यता की बजाय आपसी समझौते और गठजोड़ से होगा?
क्या मंदिर ट्रस्ट की गरिमा केवल चुनावी सौदों की मोहताज बन चुकी है?
जनता की मांग – साफ़ छवि और जिम्मेदार नेतृत्व
नगर के प्रबुद्धजनों और युवाओं का साफ़ कहना है कि अब ट्रस्ट को स्वच्छ और जवाबदेह नेतृत्व की ज़रूरत है, न कि विवादों और फरारी के इतिहास वाले चेहरों की।
“जो लोग अदालतों के चक्कर काट रहे हैं, वे मंदिर जैसे पवित्र ट्रस्ट का क्या संचालन करेंगे?” — ऐसा सवाल हर श्रद्धालु के मन में है।
निष्कर्ष
माँ महामाया मंदिर ट्रस्ट केवल धार्मिक संस्था नहीं, बल्कि जन-आस्था का केन्द्र है। इस बार का चुनाव ट्रस्ट की विश्वसनीयता की अग्निपरीक्षा बन चुका है।
अब फैसला ट्रस्ट सदस्यों के विवेक पर है — क्या वे मंदिर को फिर से कलंकित करेंगे या नए युग की शुरुआत करेंगे?