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नशा छोड़ो, गांव जोड़ो — खैरखुंडी में उम्मीदों की रैली, नशे के खिलाफ एकजुट हुआ पूरा गांव

रतनपुर से रवि ठाकुर की रिपोर्ट
रतनपुर से रवि ठाकुर की रिपोर्ट

बिलासपुर/रतनपुर:—
“जब एक गांव उठ खड़ा होता है, तो बदलाव अवश्य आता है।”इसी संदेश के साथ ग्राम पंचायत खैरखुंडी में मंगलवार को नशा मुक्ति अभियान के अंतर्गत एक जागरूकता रैली निकाली गई, जिसने पूरे गांव को झकझोर दिया और बदलाव की एक नई उम्मीद जगाई।सरपंच प्रियंका भारद्वाज, प्रतिनिधि पार्थमणि भारद्वाज और उपसरपंच पिंकी देवी सिंह राजपूत के नेतृत्व में आयोजित इस अभियान ने दिखा दिया कि यदि जनप्रतिनिधि जागरूक हों तो समाज की दिशा बदली जा सकती है।

पंचायत भवन से शुरू हुई यह रैली गांव की गलियों से होते हुए लोगों के दिलों तक पहुंची — हर चौक, हर दरवाजे से गूंजता रहा एक ही नारा: “नशा छोड़ो, जीवन जोड़ो!”
इस मुहिम में पंचगण छान्नी बाई, बलवंत सिंह, दुर्गा केवट, पृथवीपाल सिंह, पद्मनी भारद्वाज, संजय भारद्वाज, प्रमिला भारद्वाज, यशवंत मांडवा और महेश्वरी राजपूत समेत गांव के गणमान्य जन शामिल हुए।महिला स्व-सहायता समूह की सदस्याएं शैलबाई राजपूत और भुनेश्वरी नायक नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हुए रैली में अग्रणी रहीं। उनके कदमों की आहट गांव की बेटियों को एक सुरक्षित और स्वच्छ भविष्य का भरोसा दे रही थी।

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पुलिस ने धाराओं से अवगत कराया—-/

पुलिस विभाग से देवानंद चंद्राकर, आकाश डोंगरे, शशिकांत तिवारी और प्रधान आरक्षक अकबर अली भी रैली में मौजूद रहे। उन्होंने ग्रामीणों को कानून की धाराओं से अवगत कराते हुए कहा, “अब अगर कोई गांव में नशे का व्यापार करेगा तो बख्शा नहीं जाएगा।”

नशे को नही विकाश को अपनाएंगे—–

रैली में युवाओं को नशे से दूर रहने, शिक्षा से जुड़ने और अपने भविष्य को संवारने के लिए प्रेरित किया गया। गांववासियों ने भी एक स्वर में यह संकल्प लिया कि “अब नशे को नहीं, विकास को अपनाएंगे।”

पीढ़ियों को बचाना है ——-

सरपंच प्रियंका भारद्वाज ने कहा, “खैरखुंडी सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि अब एक प्रेरणा बनेगा — नशामुक्त, स्वच्छ और आत्मनिर्भर गांव का उदाहरण। हमारी जिम्मेदारी सिर्फ नशे को रोकना नहीं, बल्कि पीढ़ियों को बचाना है।”

गांव कहता है -नशा नहीं, नींव निर्माण चाहिए———–

खैरखुंडी की यह मुहिम सिर्फ एक रैली नहीं थी, यह एक क्रांति की शुरुआत थी।
एक ऐसी शुरुआत जो गांव को अंधकार से उजाले की ओर ले जा रही है —
जहां बच्चे मुस्कराते हैं, युवा रास्ता पाते हैं और बुजुर्ग चैन की सांस लेते हैं।
अब यह गांव कहता है — “नशा नहीं, नव निर्माण चाहिए।”

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