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चिल्हर सिक्का लेने से मना कर रहे दुकानदार, भारतीय मुद्रा का अपमान – दिहाड़ी मजदूरी करने वाले और ग्राहकों की बड़ी दिक्कतें – प्रशासन से गुहार

  संभागीय जिला ब्यूरो रवि राज रजक की रिपोर्ट

खोंगसरा/कोटा/बिलासपुर:—-हाल के दिनों में क्षेत्र में लगातार शिकायतें सामने आ रही हैं कि छोटे और बड़े दुकानदार ₹1, ₹2 और ₹5 के सिक्के लेने से मना कर रहे हैं। इस वजह से सबसे ज़्यादा परेशानी दिहाड़ी मजदूरी करने वाले परिवारों, ठेला-खोमचा चलाने वालों, ट्रेन और बस स्टैंड पर काम करने वाले, छोटे दुकानदारों और आम ग्राहकों को झेलनी पड़ रही है। इसी दिक्कत से परेशान होकर ट्रेनों में समोसा बेचने वाले एक युवा ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। जिसपर लोगो ने कार्यवाही की मांग की है।

छोटे दुकानदारों की स्थिति

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छोटे व्यापारियों और ठेला लगाने वालों की आमदनी अक्सर चिल्लर (सिक्कों) के रूप में होती है। लेकिन जब वे यह चिल्लर बड़े दुकानदारों या थोक व्यापारियों के पास लेकर जाते हैं, तो उन्हें लेने से मना कर दिया जाता है। नतीजतन, छोटे दुकानदार भी ग्राहकों से सिक्के लेने में हिचकिचाने लगते हैं।

यह स्थिति धीरे-धीरे इस बात की ओर इशारा कर रही है कि बाजार में चिल्लर के प्रचलन को रोकने की कोशिश की जा रही है, जबकि यह भारतीय मुद्रा का खुला अपमान है।

✦ असर महंगाई और आमजन पर

बाजार में चिल्लर का प्रचलन न होने या सिक्के स्वीकार न किए जाने से महंगाई तेजी से बढ़ सकती है। छोटे लेन-देन (जैसे – सब्ज़ी, किराना, नाश्ता, परिवहन आदि) प्रभावित होते हैं, जिससे गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों की जेब पर सीधा असर पड़ता है।

✦ मजदूरों की आवाज़

दैनिक मजदूरी करने वाले और ट्रेन में केटरिंग का काम करने वाले चिंटू और शुक्ला दास मानिकपुरी ने फेसबुक रील बनाकर इस मुद्दे पर विरोध जताया है। उन्होंने कहा –

> “अगर दुकानदार सिक्का नहीं लेंगे तो हम मजदूरों का रोज़मर्रा का लेन-देन रुक जाएगा। सरकार को तुरंत सख्त कदम उठाना चाहिए।”

उन्होंने सरकार से मांग की है –

1. सभी दुकानदारों के लिए सिक्के लेना अनिवार्य किया जाए।

2. दुकानों पर नोटिस चस्पा हो कि सिक्का लेना कानूनन ज़रूरी है।

3. नियम तोड़ने वालों पर कड़ी कानूनी कार्यवाही हो।

✦ कानूनी स्थिति क्या कहती है?

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 और करेंसी एक्ट के तहत भारत सरकार और RBI द्वारा जारी किए गए सभी नोट और सिक्के वैध मुद्रा (Legal Tender) हैं।

🔹 भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 26(1) कहती है –
“भारत में सरकार द्वारा जारी किए गए नोट और सिक्के उनके अंकित मूल्य तक वैध मुद्रा माने जाएंगे।”

🔹 करेन्सी मैनेजमेंट विभाग (RBI) ने भी समय-समय पर स्पष्ट किया है कि –
“₹1, ₹2, ₹5, ₹10 आदि सभी मूल्यवर्ग के सिक्के भारत में पूर्ण रूप से वैध मुद्रा हैं। कोई भी व्यक्ति इन्हें लेने से इंकार नहीं कर सकता।”

👉 यदि कोई दुकानदार या संस्था सिक्के लेने से मना करती है तो यह भारतीय मुद्रा का अपमान और कानून का उल्लंघन माना जाएगा। ऐसे में संबंधित पर प्रशासनिक और कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।

यह मामला केवल सिक्कों का नहीं बल्कि गरीब और मजदूर वर्ग की रोज़ी-रोटी का है। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि ऐसे दुकानदारों पर तुरंत कार्रवाई करे, ताकि भारतीय मुद्रा की गरिमा बनी रहे और आम जनता को परेशानी न हो।

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