
सीपत :–– खुटाघाट जलाशय से छोड़े जा रहे पानी के असंतुलित बहाव ने सीपत क्षेत्र के किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। पहले जहां छोटे नहरों में पानी का कम प्रवाह होने से किसानों की फसलें सूखने लगी थीं, वहीं जलस्तर बढ़ाए जाने के बाद अब सीपत के अनेक किसानों की फसलें जलमग्न होकर चौपट हो गईं।
गांव-गांव के किसान नहरों में कम पानी आने से चिंतित थे। इस समस्या को लेकर किसानों ने सरपंचों के माध्यम से सिंचाई विभाग में आवेदन देने की पहल की थी। किसानों की मांग और जनप्रतिनिधियों के दबाव पर विभाग ने अचानक नहरों में जलस्तर बढ़ाने के निर्देश जारी कर दिए। लेकिन यह निर्णय उल्टा पड़ गया , सीपत के लगभग 50 से अधिक किसानों की धान की फसलें पानी में डूब गईं। छोटे नहरों से लगे खेतों में पानी का बहाव इतना बढ़ गया कि खेतों में जलभराव हो गया और तैयार फसलें सड़ने लगीं। क्षेत्र के नवागांव, झलमला, बनियाडीह, कैमाडीह और धनियां जैसे गांवों में जहां पानी की सख्त जरूरत थी, वहीं सीपत में जलस्तर पहले से पर्याप्त था। इसके बावजूद यहां बहाव बढ़ाने से किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया। भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष तामेश्वर कौशिक और सरपंच प्रतिनिधि योगेश वंशकार ने बताया कि जलस्तर बढ़ाने के बाद ही उन्होंने सिंचाई विभाग के एसडीओ और टाइमकीपर को तत्काल जलस्तर घटाने की मांग की थी, ताकि ज्यादा बहाव से फसल बर्बाद न हो। नतीजा यह हुआ कि मंगलवार को सीपत के किसान जुगल किशोर वर्मा , दुबे सिंह कश्यप , तामेश्वर कौशिक सहित कई किसानों की हजारों की फसलें चौपट हो गईं। अब जबकि 15 दिन बाद धान खरीदी शुरू होने वाली है, किसान इस सोच में हैं कि कटाई कैसे करें और नुकसान की भरपाई कैसे होगी। किसानों ने शासन से फसलों की क्षतिपूर्ति और राहत राशि देने की मांग की है। वहीं, सिंचाई विभाग के एसडीओ श्री दीवान ने कहा कि जनप्रतिनिधियों के माध्यम से किसानों की मांग थी कि नहर खोला जाए। लेकिन अब वास्तविक स्थिति को देखते हुए नहर को बंद कर दिया गया है।










