
सीपत :– सीपत की धरती एक बार फिर लोक-संस्कृति, परंपरा और वीरता के रंगों में रंगने जा रही है। सीपत क्षेत्र में हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी रावत नाच महोत्सव 2025 का भव्य आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन 16 नवंबर, रविवार शाम 5 बजे से सीपत तहसील परिसर के पास प्रारंभ होगा, जिसमें क्षेत्र के दर्जनों यदुवंशी नर्तक दल पारंपरिक गड़वा बाजा की गूंज पर अपने लोकनृत्य और शौर्य का शानदार प्रदर्शन करेंगे। रावत नाच छत्तीसगढ़ की प्राचीन यदुवंशी परंपरा का प्रतीक है, जो वीरता, निष्ठा और एकता का संदेश देता है। आयोजन समिति ने बताया कि इस बार का महोत्सव और भी अधिक भव्यता के साथ मनाया जाएगा, जिसमें आस-पास के गाँवों के नर्तक दल अपनी प्रस्तुतियों से समा बांधेंगे। मंच पर नाचते समय ढोल, नगाड़े और गड़वा बाजा की थाप से पूरा क्षेत्र गुंजायमान होगा। कार्यक्रम में भाग लेने वाले नर्तक दलों के लिए आकर्षक नकद पुरस्कार और शील्ड की व्यवस्था की गई है प्रथम पुरस्कार 7100 एवं शील्ड , द्वितीय पुरस्कार 5100 एवं शील्ड , तृतीय पुरस्कार 3100 एवं शील्ड , चतुर्थ पुरस्कार 2100 एवं शील्ड , पाँचवाँ पुरस्कार 1500 एवं शील्ड एवं सांत्वना पुरस्कार 501 रुपए प्रदान किया जाएगा। सीपत और आसपास के गाँवों में इस आयोजन को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। आयोजन में ग्राम पंचायत सीपत के प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता और वरिष्ठ नागरिक बड़ी संख्या में शामिल होंगे। यह आयोजन न केवल मनोरंजन का माध्यम बनेगा बल्कि युवाओं को अपनी लोकसंस्कृति और परंपरा से जुड़ने की प्रेरणा भी देगा। ग्राम पंचायत सीपत की सरपंच श्रीमती मनीषा योगेश वंशकार ने बताया कि यह महोत्सव क्षेत्र के लिए गौरव का विषय है। उन्होंने सभी ग्रामवासियों, यदुवंशी बंधुओं एवं व्यापारिक समुदाय से अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर इस सांस्कृतिक आयोजन को सफल बनाने की अपील की है। आयोजन की तैयारी के लिए श्रीमती मनीषा योगेश वंशकार (सरपंच) , श्यामा शशीकांत साहू (उपसरपंच) , पंच दीपक यादव , विनोद यादव , अमन यादव के साथ ग्राम पंचायत के पंचगण सुमित जायसवाल, संतोष सिदार, अमित धीवर, हरिश गुप्ता, नरेश, उमेद, लच्छी वर्मा, गौतम खरे, नागेश वर्मा, पोषण सत्यार्थी, संजय वर्मा, राजकुमार रजक, गोपी धीवर, प्रदीप पांडे, इन्द्र गुप्ता, लखन गुप्ता एवं समस्त यदुवंशी समाज सीपत इस आयोजन में जुटे हैं। यह जानकारी पंच विनोद यादव ने दी। छत्तीसगढ़ के लोकनृत्यों में “रावत नाच” केवल नृत्य नहीं, बल्कि वीरता, एकजुटता और परंपरा का उत्सव है। युवा जब गड़वा बाजा की थाप पर नाचते हैं तो हर कदम पर उनकी सांस्कृतिक पहचान झलकती है। गड़वा की थाप पर झूमेगा सीपत , रावत नाच में दिखेगा यदुवंशी गौरव और लोकगर्व का अद्भुत संगम।









