
*गरियाबंद*:- गरियाबंद जिले में सड़क मरम्मत कार्य के लिए करोड रुपए का स्वीकृत पास हुआ है मगर विभागीय अधिकारियों के द्वारा सड़क मरम्मत के नाम पर केवल खानापूर्ति का काम किया जा रहा है।
गरियाबंद जिले में सड़कों का हाल बेहाल है जिसके मरम्मत कार्य के लिए विभागीय मंत्री के द्वारा करोड़ों रुपए का राशि स्वीकृत किया गया है मगर विभागीय अधिकारी के द्वारा सड़क का मरम्मत करने के नाम पर केवल खानापूर्ति का काम किया जा रहा है। आधे अधूरे मरम्मत का कार्य करके पूरे कार्य का फाइल बनाकर भेजा दिया जाता है मगर धरातल में देखा जाए तो कई ऐसे जगह है जहां पर सड़के गड्ढे ही गड्ढे नजर आते हैं तो कहीं सड़क ऊपर नीचे नजर आते है जिससे लोग दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं मगर विभागीय अधिकारी केवल खानापूर्ति करने में लगे हुए हैं।
राजिम से फिंगेश्वर पहुंच मार्ग में कई ऐसी जगह है जहां पर गड्ढे ही गड्ढे नजर आते हैं तो कहीं सड़क ऊपर नीचे नजर आते हैं। जबकि इस पहुंच मार्ग पर हमेशा लोग दुर्घटना का शिकार होते रहते हैं जिससे कई लोगों का जान भी चला गया है।
विभागीय अधिकारियों के द्वारा सड़कों पर ना तो संकेत बोर्ड लगाया जाता है न हीं किसी भी प्रकार का सड़क के बीचोंबीच पट्टी लाया जाता है। संकेत बोर्ड नहीं होने के चलते लोग दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं ।
वर्तमान सरकार की नेताओं की बात करें तो केवल पेपर पर बता रहे हैं कि सरकार के द्वारा कितने रुपए का मरम्मत कार्य के लिए स्वीकृत हुआ मगर धरातल में देखने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधि के पास समय भी नहीं है। जिसका फायदा अधिकारी उठा रहें हैं।
दूसरी तरफ बात करें पाण्डुका से गरियाबंद जिला मुख्यालय रोड की तो इस मार्ग पर भी मरम्मत के नाम पर केवल खानापूर्ति का कार्य किया जा रहा है ।
पाण्डुका से लेकर बारुका तक सड़क कहीं गड्ढे तो कहीं सड़क ऊपर नीचे या सड़क उखड़े हुए हैं जिसके चलते वाहन चलाना बहुत मुश्किल है। रात्रि में इस रोड पर आना जाना मुश्किल हो जाता है। आये दिन इस मार्ग पर लोग गड्ढे के चलते दुर्घटना का शिकार होते हैं।
आधे अधूरे मरम्मत कार्य करते हुए पीडब्ल्यूडी विभाग के द्वारा जिला मुख्यालय तक मरम्मत करते पहुंच गये मगर सड़क की हाल बेहाल अभी भी है।
विभागीय अधिकारी रामेश्वर सिंह से दूरभाषा पर जानकारी लेने पर कहां की जहां जरुरत है वहां कार्य किया जा रहा है। जब पैसा बच जाता है तो फिर से बाकी जगह को देखेंगे।


गरियाबंद में सड़क मरम्मत पर करोड़ों स्वीकृत, PWD का काम सिर्फ खानापूर्ति">







