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झूठे हक का शिकारी शिक्षक! न अपंगता, न गरीबी — फिर भी खा गया विकलांग भत्ता और महतारी वंदन योजना की राशि

रतनपुर से रवि ठाकुर की रिपोर्ट
रतनपुर से रवि ठाकुर की रिपोर्ट

रतनपुर/बिलासपुर/कोटा:—
छत्तीसगढ़ की सामाजिक न्याय और कल्याण योजनाएं गरीबों, असहायों और जरूरतमंदों के लिए बनाई जाती हैं, लेकिन कुछ चालाक लोगों ने इन्हीं योजनाओं को अपने स्वार्थ की सीढ़ी बना लिया है। कोटा विकासखंड के शिक्षा विभाग से एक ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां न तो विकलांगता थी, न पात्रता, फिर भी एक शिक्षक ने सरकारी विकलांग भत्ता और महिला कल्याण योजना का लाभ सालभर तक डकार लिया।

एक साल तक हर महीने खा गया विकलांगों का हक़

बछालीखुर्द संकुल समन्वयक के पद पर पदस्थ प्रमोद कुमार साहू नामक शिक्षक को पिछले 12 महीनों से ₹750 प्रतिमाह विकलांग भत्ता मिल रहा था, जबकि वह शारीरिक रूप से पूर्णतः सक्षम हैं। यह खुलासा तब हुआ जब सूचना के अधिकार (RTI) के तहत विकलांग शिक्षकों की सूची मांगी गई और उसमें साहू का नाम देखकर संदेह गहराया। जब जांच हुई, तो पता चला — साहू किसी भी श्रेणी के विकलांग नहीं हैं। इसके बावजूद उन्हें पूरे वर्ष तक विकलांग भत्ते की राशि वेतन में जोड़कर दी जाती रही।

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महतारी वंदन योजना” का भी शोषण — पत्नी के नाम से लिया लाभ

जांच में एक और गंभीर फर्जीवाड़ा सामने आया। प्रमोद कुमार साहू ने अपनी सरकारी नौकरी की जानकारी छुपाकर, अपनी पत्नी के नाम से महतारी वंदन योजना के लिए आवेदन कर दिया। नतीजतन, 11 महीने तक इस योजना की राशि उनकी पत्नी के खाते में जाती रही। यह उस असंगठित महिला श्रमिक वर्ग के साथ सीधा विश्वासघात है जिसके लिए यह योजना बनी है।

कार्रवाई नहीं, सिर्फ ‘औपचारिक नोटिस’— क्या यही न्याय है?

चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे घोटाले पर बीईओ कार्यालय ने सिर्फ नोटिस थमा दिया। न शिक्षक को निलंबित किया गया, न एफआईआर दर्ज हुई, न विभागीय जांच शुरू हुई। केवल राशि लौटाने की औपचारिकता निभाकर मामले को दबाने की कोशिश हो रही है।

ये सिर्फ आर्थिक गड़बड़ी नहीं — ये समाजिक अन्याय है!”

इस घटना पर सामाजिक संगठनों का गुस्सा फूट पड़ा है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि एक सक्षम शिक्षक के द्वारा विकलांग और असहाय महिलाओं के नाम पर सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग किया जाना न सिर्फ अनैतिक है, बल्कि आपराधिक भी है। वे अब इस मामले की सीधी शिकायत मुख्यमंत्री से करने की तैयारी में हैं।

कार्रवाई नही तो खतरनाक उदाहरण

क्या सरकारी सिस्टम में इतनी ढिलाई है कि एक शिक्षक सालभर तक दो योजनाओं का फर्जी लाभ उठा लेता है और सिर्फ एक नोटिस पर मामला रफा-दफा हो जाता है?अगर इस पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो ये एक खतरनाक उदाहरण बन जाएगा — जहाँ झूठ बोलने वाला हर कोई सिस्टम को ठगने की हिम्मत करेगा।

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