
विवादित सदस्य की सक्रियता से नगर में उबाल, 10 अगस्त को मंदिर प्रांगण में होगा जनआक्रोश
रतनपुर:—
विश्वविख्यात शक्ति पीठ माँ महामाया मंदिर ट्रस्ट एक बार फिर सियासी तूफ़ान के केंद्र में आ गया है। पवित्र मंदिर परिसर में 10 अगस्त को होने वाला अध्यक्ष पद का चुनाव अब केवल धार्मिक मर्यादा का नहीं, बल्कि नगर की इज्जत और ट्रस्ट की गरिमा बचाने का मुद्दा बन गया है।
21 सदस्यीय ट्रस्ट में से 14 सदस्यों का एक गुट पहले ही समर्थन हस्ताक्षरों के जरिए सत्ता पर कब्ज़ा करने की योजना बना चुका है। इस गुट का खेल साफ है—चुनाव को महज़ औपचारिकता बनाकर पहले से ही तय अध्यक्ष और पदाधिकारी बैठा देना।लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस गुट का सूत्रधार वही विवादित सदस्य है, जिस पर ‘कछुआ कांड’ का संगीन आरोप है—एक ऐसा कांड, जिसने न केवल रतनपुर बल्कि पूरे प्रदेश में मंदिर ट्रस्ट की साख को धूल में मिला दिया था। आरोप है कि उसके कारण दर्जनों कछुओं की मौत हुई, जिसके बाद वह कई दिनों तक फरार रहा और फिलहाल जमानत पर बाहर है।
अब वही चेहरा खुलेआम चुनावी सक्रियता दिखा रहा है, जिससे नगर का माहौल गरमाने लगा है। लोग कह रहे हैं—
“जिसने पवित्र नगर की छवि को कलंकित किया, उसे माँ महामाया के दरबार में स्थान देने का अधिकार किसी को नहीं है।”
सूत्र बताते हैं कि इस विवादित सदस्य को चुनाव से दूर रखने की मांग को लेकर 10 अगस्त को मंदिर प्रांगण में जनसैलाब उमड़ेगा। नगरवासी नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन कर प्रशासन पर दबाव बनाएंगे कि चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी हो।
स्थानीय नागरिकों ने कलेक्टर और एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर आग्रह किया है की —-
“अगर इस बार भी गुटबाज़ी और सौदेबाज़ी से पदाधिकारी चुने गए, तो रतनपुर की शांति भंग होगी और इसका जिम्मेदार प्रशासन होगा।”
अब रतनपुर की गलियों में सिर्फ एक सवाल गूंज रहा है—
क्या माँ महामाया के दरबार में न्याय का सूरज उगेगा, या फिर गुटबाज़ी और सौदेबाज़ी के अंधेरे में सच दम तोड़ देगा?