महामाया कुंड के निरीह कछुओ की अकाल मौत के दोषियों के खिलाफ रतनपुर गहरा रहा जन आक्रोश

रवि ठाकुर की रिपोर्ट

रतनपुर के नागरिकों ने इसी मुद्दे पर रविवार को किया नगर बन्द का आह्वान

 

इधर नगर पालिका ने भी दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने लिखा पत्र

 

रतनपुर। —- धार्मिक नगरी रतनपुर पर मां महामाया की कृपा है और इसकी रक्षा स्वयं भैरव बाबा करते हैं लेकिन इसी धार्मिक नगरी में मंदिर परिसर में सनातनी परंपराओं में भगवान विष्णु के अवतार स्वरूप कछुओ की असामयिक मौत हो जाती है और मामले में इतने दिन बीत जाने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं होती। इसे लेकर धीरे-धीरे नगर में आक्रोश पनप रहा है। इस घटना के विरोध में और अब तक किसी भी दोषी के खिलाफ कोई कार्यवाही न होने से आक्रोशित नगर वासियों ने शुक्रवार शाम गज किला में शोक सभा आयोजित कर मृत कछुओ को श्रद्धांजलि अर्पित की और इस पूरे घटना क्रम पर आक्रोश व्यक्त करते हुए जल्द से जल्द दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है।

रतनपुर महामाया कुंड में नवरात्रि उत्सव के बहाने महामाया कुंड की सफाई के नाम पर कुछ मछुआरों को कुंड से मछली पकड़ने की खुली छूट दे दी गई। नतीजा यह हुआ कि उनके द्वारा मछलियों के साथ कुंड में रहने वाले संरक्षित कछुओ का भी अवैध शिकार किया गया। मछुआरों के जाल में फंसकर 23 कछुओ की अकाल मौत हो गई। जांच से स्पष्ट हुआ की मछली पकड़ने का यह आदेश महामाया मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सतीश शर्मा द्वारा दिया गया था। इस मामले में पुलिस और वन विभाग ने कुछ गरीब मछुआरों पर तो कार्रवाई की लेकिन सतीश शर्मा जैसी बड़ी मछलियां बच निकले। लेकिन उन्हें यह अंदेशा जरूर था कि इस मामले में उनकी गिरफ्तारी हो सकती है इसलिए उन्होंने अग्रिम जमानत का भी प्रयास किया, लेकिन वहां से भी उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई। बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता कर खुद को पाप-साफ़ बताते हुए जांच में सहयोग करने का वादा करने वाले ऐसे ही पदाधिकारी अचानक भूमिगत हो गए, जिससे उनकी मंशा पर सवाल उठने लगे हैं।

इधर इसी बीच 8 अप्रैल को रतनपुर के कलपेसरा तालाब में इस घटना की पुनरावृत्ति हुई और यहां चार कछुए जाल में फंसे मृत मिले। माना जा रहा है कि केवल यह दर्शाने के लिए कि यह पूरी घटना साजिश है इस तरह की घटनाओं को दोहराया गया है। इससे भी नगर में आक्रोश है। इस मामले में अब तक पुलिस और वन विभाग की कार्यवाही से लोग संतुष्ट नहीं है। इसी कारण से स्थानीय लोगों ने आगामी 13 अप्रैल को नगर बन्द का आह्वान किया है। शोक सभा में मौजूद सैकड़ो लोगों ने कहा कि नगर बंद कर प्रशासन को यह संदेश दिया जाएगा की कछुओ की मौत को लेकर जन भावना क्या है।

इधर इस पूरे मामले में एक नया मोड़ आया है। मुख्य नगर पालिका अधिकारी रतनपुर द्वारा थाना प्रभारी को पत्र लिखकर कछुओ की मौत के आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। पत्र में बताया गया है कि मां महामाया मंदिर परिसर स्थित कुंड को धार्मिक भावना को ध्यान में रखते हुए नगर निकाय द्वारा मत्स्य पालन से मुक्त रखा गया है। यह कुंड महामाया ट्रस्ट समिति रतनपुर की देखरेख और संरक्षण में है।

ट्रस्ट द्वारा ही फव्वारा, पचरी निर्माण और पार का सौंदर्यीकरण के साथ बोर से जल भराव करा जाता है लेकिन ट्रस्ट के अधिकारियों द्वारा ही लिए गए निर्णय के चलते 25 मार्च को 23 कछुओ की मौत हुई है। इससे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई है और महामाया मंदिर अपवित्र हुआ है इसलिए इसके दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने की मांग मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने की है ।

इधर हाई कोर्ट ने भी पूरे मामले को संज्ञान में लिया है। जाहिर है दोषियों के खिलाफ शिकंजा कसता जा रहा है। ऐसे में उनका अधिक समय तक बचना संभव नहीं। पूरे मामले का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि महामाया मंदिर ट्रस्ट के जो अधिकारी सम्मान के पात्र थे आज वे पूरे नगर के लिए खलनायक बन चुके हैं और लोग उन्हें किसी भी कीमत में मंदिर ट्रस्ट में नहीं देखना चाहते। शायद यही उनके लिए सबसे बड़ी सजा है।

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