
रतनपुर को चाहिए अपना व्यवहार न्यायालय: सैकड़ों गांवों की न्याय तक पहुँच हो रही प्रभावित—–वादिर खान
रतनपुर (बिलासपुर):—–बिलासपुर जिले के ऐतिहासिक और धार्मिक नगरी रतनपुर में व्यवहार न्यायालय की सख्त आवश्यकता महसूस की जा रही है। रतनपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत सैकड़ों गांव आते हैं
, जिनमें हर दिन की आम जिंदगी से जुड़ी कानूनी समस्याएं जन्म लेती हैं। इसके बावजूद आज तक यहां व्यवहार न्यायालय की स्थापना नहीं हो पाई है, जिससे क्षेत्र की आम जनता को न्याय पाने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है।
न्याय के लिए बिलासपुर व कोटा की दूरी एक बड़ी बाधा
रतनपुर थाना में हर महीने बड़ी संख्या में केस दर्ज होते हैं—जमीन संबंधी विवादों से लेकर पारिवारिक कलह, धोखाधड़ी, चेक बाउंस, ऋण विवाद और अन्य दीवानी मामले आम हैं।
इन मामलों में सुनवाई के लिए नागरिकों को बिलासपुर जिला न्यायालय व कोटा न्यायालय का रुख करना पड़ता है। यह दूरी न सिर्फ समय लेने वाली है, बल्कि इसमें आने वाला आर्थिक बोझ गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए और भी कठिनाइयों का कारण बनता है।
थाना क्षेत्र में सैकड़ों गांव, फिर भी न्यायिक सुविधा नहीं
रतनपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत अनुमानतः 100 से अधिक गांव आते हैं, जिसमें लाखों की आबादी निवास करती है। इन ग्रामीण क्षेत्रों में न तो उचित न्यायिक पहुंच है और न ही न्याय की प्रक्रिया को समझने के लिए पर्याप्त संसाधन।
बहुत से मामलों में तो लोग थक-हार कर अपनी शिकायतें वापस ले लेते हैं या कभी आगे बढ़ाते ही नहीं, क्योंकि उन्हें लगता है कि न्याय पाना बहुत महंगा और समयसाध्य है।
स्थानीय अधिवक्ताओं और समाजसेवियों की मांग
स्थानीय अधिवक्ताओं का कहना है कि रतनपुर में व्यवहार न्यायालय की स्थापना से ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को बहुत राहत मिलेगी। बिलासपुर व कोटा कोर्ट पर बढ़ते बोझ को भी कम किया जा सकता है। रतनपुर के वरिष्ठ वकील रवि गन्धर्व कहते हैं
, “न्याय सबका अधिकार है, लेकिन अगर वह सुलभ नहीं है, तो उसका कोई अर्थ नहीं रह जाता। रतनपुर को आज नहीं तो कल, न्यायिक दृष्टिकोण से मजबूत करना ही होगा।”
राजनीतिक और प्रशासनिक चुप्पी पर उठ रहे सवाल
स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि वर्षों से इस मांग को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया गया, लेकिन आज तक कोई ठोस पहल नहीं हुई है। हर चुनाव में यह मुद्दा जरूर उठता है, लेकिन बाद में यह केवल घोषणा पत्रों तक सिमट कर रह जाता है।
क्या कहता है भूगोल और प्रशासनिक संरचना?
रतनपुर की भौगोलिक स्थिति भी न्यायालय स्थापना के पक्ष में जाती है। यह क्षेत्र धार्मिक दृष्टि से प्रसिद्ध होने के साथ-साथ प्रशासनिक रूप से भी एक मुख्य केंद्र है। नजदीकी क्षेत्रों जैसे कोटा, सीपत, तखतपुर आदि के ग्रामीण भी यहां आसानी से पहुंच सकते हैं, जिससे यह व्यवहार न्यायालय एक क्षेत्रीय न्यायिक केंद्र बन सकता है।
स्थानीय जनता की अपील
रतनपुर में स्थानीय जनता कन्हैया यादव और वादिर खान की मांग है कि छत्तीसगढ़ शासन और बिलासपुर जिला प्रशासन इस ओर गंभीरता से ध्यान दे। यदि व्यवहार न्यायालय की स्थापना रतनपुर में होती है, तो यह न सिर्फ क्षेत्र के विकास में एक बड़ा कदम होगा, बल्कि ‘न्याय सबके लिए’ की भावना को भी वास्तविक रूप में साकार करेगा।
निष्कर्ष:
रतनपुर में व्यवहार न्यायालय की मांग अब केवल आवश्यकता नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का प्रश्न बन चुकी है। क्षेत्रीय प्रतिनिधियों, अधिवक्ताओं और नागरिकों को मिलकर इस मुद्दे को शासन-प्रशासन के समक्ष मजबूती से उठाना होगा, ताकि न्याय आमजन के दरवाजे तक पहुंच सके।