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न्याय का मखौल! रोक के बावजूद बेलतरा में शासकीय भूमि पर धड़ल्ले से जारी अवैध निर्माण

 

रतनपुर से रवि ठाकुर की रिपोर्ट
रतनपुर से रवि ठाकुर की रिपोर्ट

रतनपुर/बेलतरा/ बिलासपुर;—-
बेलतरा क्षेत्र में शासकीय जमीन पर अवैध कब्जे का मामला तूल पकड़ता जा रहा है, जहां तहसील न्यायालय द्वारा जारी स्थगन आदेश को पूरी तरह नज़रअंदाज़ करते हुए निर्माण कार्य बदस्तूर जारी है।

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ग्राम जाली निवासी संतोष पाटले पर आरोप है कि उन्होंने खसरा नंबर 492, रकबा 0.833 हेक्टेयर शासकीय भूमि के एक हिस्से (लगभग 0.05 एकड़) पर अनधिकृत पक्का मकान निर्माण शुरू कर दिया है। यह भूमि छत्तीसगढ़ शिल्प विकास बोर्ड की बांस शिल्प परियोजना के लिए पूर्व से आवंटित है, जिसकी पुष्टि सरपंच सुरेश कश्यप ने भी की है।

तहसीलदार बेलतरा द्वारा पत्र क्रमांक 144 के तहत 22 जुलाई तक सभी निर्माण कार्य पर रोक लगाते हुए सख्त चेतावनी दी गई थी कि यदि निर्माण जारी रहा तो सामग्री जप्त कर कानूनी कार्यवाही की जाएगी।इसके बावजूद निर्माण कार्य में कोई रोक नहीं आई है। यह स्थिति प्रशासनिक गंभीरता और न्यायिक आदेशों की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े करती है।जब आरोपी संतोष पाटले से पूछा गया तो उन्होंने दावा किया कि भूमि ग्राम पंचायत जाली के अंतर्गत आती है और खसरा नंबर 592 पर वे वैध निर्माण कर रहे हैं। उन्होंने सीमांकन की मांग रखी है, जबकि शिकायतकर्ता व परियोजना प्रबंधन इसे स्पष्ट रूप से अवैध कब्जा बता रहे हैं।

अब बड़ा सवाल यह है कि जब न्यायालयीन आदेश और प्रशासन की चेतावनी के बावजूद कार्य नहीं रुका

 

क्या बेलतरा में कानून सिर्फ कागज़ों तक सीमित रह गया है?

क्या अवैध कब्जाधारियों को प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है?जनता और संबंधित विभागों की नजर अब प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी है, ताकि यह तय हो सके कि कानून का राज रहेगा या कब्जेधारियों की मनमानी।

भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के बाद कांग्रेस ने संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। क्या सरकार को इस पर विचार करना चाहिए?

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📝 संपादक की जानकारी

संपादक: फिरोज खान

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वेबसाइट में प्रकाशित खबरों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है समाचार की विषयवस्तु संवाददाता के विवेक पर निर्भर यह एक हिंदी न्यूज़ वेबसाइट है, जिसमें छत्तीसगढ़ सहित देश और दुनिया की खबरें प्रकाशित की जाती हैं। वेबसाइट पर प्रकाशित किसी भी समाचार से संबंधित कानूनी विवाद की स्थिति में केवल बिलासपुर न्यायालय की ही मान्यता होगी।

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