गौरेला पेंड्रा मरवाही : —-इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के पर्यटन प्रबंधन विभाग द्वारा जीपीएम जिले की पर्यटन समितियों के लिए आयोजित 12 दिवसीय पर्यटक सुविधाकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन समारोह विश्वविद्यालय के सभागार में शनिवार को आयोजित किया गया। जिला प्रशासन और विश्वविद्यालय के संयुक्त प्रयासों का परिणाम था, जिसका उद्देश्य स्थानीय युवाओं को गाइडिंग, आतिथ्य सेवा और पर्यटन पेशेवर कौशल से युक्त करना था।यह प्रशिक्षण कार्यशाला स्थानीय युवाओं को पर्यटन क्षेत्र में सशक्त बनाने और जीपीएम जिले को सांस्कृतिक व प्राकृतिक पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक ठोस पहल साबित हुई है।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि अखिलेश नामदेव सदस्य जिला स्तरीय पर्यटन समिति थे। उन्होंने ने कहा कि यह प्रशिक्षण निश्चित रूप से जिले के उभरते पर्यटन स्थलों के लिए फायदेमंद होगा। कलेक्टर श्रीमती लीना कमलेश मांडवी के मार्गदर्शन में जिले में पर्यटन को उद्योग के रूप में विकसित किया जा रहा है और यह प्रशिक्षण उसी दिशा में एक सार्थक कदम है। नामदेव ने विश्वविद्यालय की ओर से दी गई गाइड और मेहमान-नवाज़ी संबंधी प्रशिक्षण की सराहना करते हुए कहा कि यह स्थानीय लोगों को रोजगार और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएगा। उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त समूहों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आप सभी ने केवल प्रशिक्षण नहीं लिया, बल्कि विश्वविद्यालय से एक स्थायी संबंध भी जोड़ा है। भविष्य में भी मार्गदर्शन जारी रहेगा। जिला मिशन प्रबंधकदुर्गा शंकर सोनी ने कहा कि अमरकंटक विश्वविद्यालय द्वारा दी जा रही यह पहल दूरदर्शी है। उन्होंने बताया कि कलेक्टर के मार्गदर्शन में जिला प्रशासन पर्यटन को स्थानीय विकास का माध्यम बना रहा है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।
कार्यक्रम के दौरान पर्यटन प्रबंधन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रशांत कुमार सिंह ने प्रशिक्षण से जुड़ी चुनौतियों और अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि जीपीएम जिले के प्रतिभागी सीमित शैक्षणिक पृष्ठभूमि से थे, फिर भी उन्होंने जिस जज्बे और समर्पण से प्रशिक्षण लिया वह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण में आईटी ट्रैकिंग, व्यवहार कौशल, सांस्कृतिक प्रस्तुतीकरण, गाइडिंग, आपदा प्रबंधन और स्थानीय उत्पादों के प्रचार जैसे विषयों को शामिल किया गया। प्रशिक्षण के प्रारंभिक 6 दिन आवासीय प्रशिक्षण के रूप में आयोजित किए गए, जबकि शेष 6 दिन फील्ड प्रशिक्षण के रूप में संपन्न हुए। डॉ. रोहित रवींद्र बोरलिकर ने पर्यटन के विविध पहलुओं पर चर्चा करते हुए प्रतिभागियों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि स्थानीय पर्यटन विकास के लिए सांस्कृतिक विरासत की प्रस्तुति और स्थानीय सहभागिता अनिवार्य है। कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने भी अपने अनुभव साझा किए और कहा कि उन्हें इस प्रशिक्षण से बहुत कुछ सीखने को मिला, जिसे वे अपने क्षेत्रों में प्रभावी ढंग से लागू करेंगे। समापन अवसर पर विश्वविद्यालय के टूरिज्म विभाग द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत शाल और स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया। कार्यक्रम में डॉ. जयप्रकाश नारायण, डॉ. केशव सिंह राठौर, डॉ. अनिल कुमार टम्टा, विभाग के अन्य शिक्षकगण एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।