कोटा: —–जन स्वास्थ्य सहयोग संस्था द्वारा संचालित गरिमा इकाई ने अपने आजीविका प्रबंधन कार्यक्रम के तहत एक सराहनीय पहल की है। संस्था ने बहेरामुड़ा गाँव की विशेष रूप से कमजोर बैगा जनजाति की निशक्त और गरीब महिलाओं को बकरी प्रदान कर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने और उनके परिवार के पोषण स्तर में सुधार लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
गरिमा इकाई, ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण, स्वास्थ्य और आजीविका प्रबंधन पर गहनता से काम कर रही है। संस्था का मुख्य उद्देश्य जैविक कृषि, मिलेट (मोटे अनाज) के उत्पादन, प्रसंस्करण, और विपणन को बढ़ावा देकर ग्रामीण स्तर पर रोजगार सृजित करना है। इसके माध्यम से, गरिमा न केवल किसानों और महिला समूहों की आय में वृद्धि कर रही है, बल्कि उपभोक्ताओं तक उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य उत्पाद भी पहुँचा रही है।
पशुपालन को बढ़ावा देना भी गरिमा के प्रमुख कार्यों में से एक है। इसी के तहत, उन्नत तकनीक का उपयोग करते हुए गरीब और सीमांत किसान परिवारों को बकरी पालन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह पहल न केवल उनकी आर्थिक आमदनी बढ़ाने में सहायक है, बल्कि पारिवारिक पोषण में सुधार लाने का भी एक प्रभावी माध्यम है।
गरिमा के इस अनूठे कार्यक्रम मॉडल को समझने और सीखने के लिए हाल के दिनों में कई सरकारी, प्रशासनिक और स्वयंसेवी संस्थानों की टीमों ने दौरा किया है। बहेरामुड़ा में निशक्त और गरीब बैगा परिवारों को बकरी प्रदान करने की यह हालिया पहल, संस्था के उन्हीं प्रयासों का एक हिस्सा है जो समाज के सबसे कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने पर केंद्रित है।
जन स्वास्थ्य सहयोग एवं गरिमा मंच के बारे में:
जन स्वास्थ्य सहयोग, गनियारी स्थित एक अग्रणी संस्था है जो ग्रामीण समुदायों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं और आजीविका के अवसरों को बेहतर बनाने के लिए काम करती है। इसकी ‘गरिमा’ इकाई विशेष रूप से पोषण, स्वास्थ्य और आर्थिक सुदृढ़ीकरण जैसे सामाजिक कारकों पर ध्यान केंद्रित करती है, ताकि ग्रामीण उत्पादकों और उनके परिवारों के जीवन में एक स्थायी और सकारात्मक बदलाव लाया जा सके।