
रतनपुर, छत्तीसगढ़:—–रतनपुर प्राचीन काल में दक्षिण कोशल की राजधानी रही है। मां महामाया देवी मंदिर यहां की पहचान है, जो शक्तिपीठों में गिना जाता है। इस मंदिर में वर्षभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। रतनपुर की गलियों में कदम रखते ही शंख-घंटियों की आवाज और मंदिरों की श्रृंखलाएं मानो किसी और ही युग की ओर ले जाती हैं।महामाया मंदिर के साथ-साथ कुंड, रामटेकरी, भैरव बाबा, काली मंदिर, और अन्य कई छोटे-बड़े मंदिर रतनपुर को एक जीवंत धार्मिक नगरी का रूप देते हैं।इसके अलावा नगर सहित आसपास अनगिनत मन्दिर है जो देखरेख व सरंक्षण के अभाव में जीर्ण सिर्ण हो रहे है।
आपको बता दे कि मंदिरों की नगरी रतनपुर एक बार फिर से अपनी धार्मिक पहचान को जीवंत करने की ओर अग्रसर हो रही है। विश्व प्रसिद्ध माँ महामाया मंदिर ट्रस्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए रतनपुर के प्राचीन और उपेक्षित मंदिरों के समग्र जीर्णोद्धार अभियान की शुरुआत की है। यह निर्णय धार्मिक भावना, सांस्कृतिक गौरव और विरासत के संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। महामाया मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष आशीष सिंह ने समय न्यूज को जानकारी देते हुए कहा—
> “रतनपुर केवल ईंट-पत्थरों का नगर नहीं, बल्कि आस्था, इतिहास और संस्कृति का जीवंत प्रतीक है। यहाँ अनेक ऐसे मंदिर हैं जो वर्षों से उपेक्षा का शिकार हैं। अब ट्रस्ट ने संकल्प लिया है कि इन मंदिरों का पुनरुद्धार कर उन्हें फिर से श्रद्धा का केंद्र बनाया जाएगा।”
बीस दुवरिया मंदिर से शुरुआत, 10 लाख होंगे खर्च
इस मुहिम की शुरुआत बैरागबन तालाब पार स्थित प्राचीन ‘बीस दुवरिया मंदिर’ से की जा रही है, जो लंबे समय से जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है। ट्रस्ट द्वारा इसके जीर्णोद्धार हेतु ₹10 लाख की राशि स्वीकृत की गई है।
इस मंदिर का ऐतिहासिक और लोकमान्य महत्व रहा है, लेकिन रख-रखाव के अभाव में यह उपेक्षित अवस्था में पहुंच गया था।
स्थानीय जनभावनाओं को मिला सम्बल
जैसे ही यह खबर स्थानीय निवासियों और श्रद्धालुओं तक पहुँची, मंदिर परिसर में श्रद्धा और भावनाओं की लहर दौड़ गई। बुजुर्गों की आंखों में आंसू थे, और युवाओं में उम्मीद की चमक। लोगों का कहना है कि यह कार्य न केवल धार्मिक आस्था को पुनर्जीवित करेगा, बल्कि रतनपुर को धार्मिक पर्यटन का नया केंद्र बनाने में भी मददगार होगा।
अभियान का अगला चरण भी तय
ट्रस्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कार्य केवल एक मंदिर तक सीमित नहीं रहेगा। अगली कड़ियों में शहर के अन्य प्राचीन मंदिरों की सूची तैयार कर क्रमबद्ध तरीके से जीर्णोद्धार कार्य किया जाएगा। इसके लिए शासन-प्रशासन से भी सहयोग की अपेक्षा की जा रही है।