
नारायणपुर,:-;;; जिले के छोटे से गाँव कुंदला में स्थित आंगनबाड़ी केन्द्र आज बच्चों की हँसी-खुशी और सीखने की लय से गूंज उठा है। यहाँ स्कूल पूर्व अनौपचारिक शिक्षा का सतत् आयोजन बच्चों के सर्वांगीण विकास की नई मिसाल बन रहा है। हर सुबह जब सूरज की पहली किरणें गाँव की गलियों में उतरती हैं, तो आंगनबाड़ी केन्द्र के द्वार पर छोटे-छोटे कदमों की आहट सुनाई देने लगती है। पाँच वर्ष की मनीषा कुमेटी, पिता राजकुमार और माता ममता की बेटी, अपने नन्हे हाथों में स्लेट और चॉक लिए मुस्कुराती हुई आती है। वहीं उसका साथी अंकुश, पिता फूलचंद और माता लखमी पोयाम का बेटा, उत्साह से भरा हुआ अपने दोस्तों के साथ गिनती गुनगुनाता हुआ केन्द्र पहुँचता है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चों के साथ खेल-खेल में उन्हें अक्षर, गिनती और रंगों की पहचान सिखाते हैं। “एक, दो, तीन” की मधुर आवाज़ों के बीच कभी तालियों की गूंज उठती है, तो कभी बच्चों की हँसी से पूरा केन्द्र खिल उठता है। यह कार्यक्रम केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों में अनुशासन, मदद की भावना, मेलजोल, संयम और आत्मविश्वास जैसी मानवीय मूल्यों की नींव भी डाल रहा है। बच्चों को यह सिखाया जा रहा है कि कैसे वे दूसरों की सहायता करें, एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करें और नियमों का पालन करते हुए खुशहाल माहौल में सीखें।
कुंदला आंगनबाड़ी केन्द्र की कार्यकर्ता बताती हैं कि पहले गाँव के कई बच्चे विद्यालय आने से झिझकते थे, लेकिन अब वे स्वयं उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं। माता-पिता भी अब अपने बच्चों की प्रगति देखकर गर्व महसूस कर रहे हैं। कु. मनीषा अब अपने घर में गिनती और अक्षर पहचान सिखाने लगी है, जबकि अंकुश ने “बड़ा और छोटा” का अंतर पहचानना सीख लिया है। दोनों ही बच्चे शिक्षा के प्रति जिज्ञासु और आत्मविश्वासी बनते जा रहे हैं। इस तरह कुंदला का आंगनबाड़ी केन्द्र न केवल शिक्षा का केन्द्र बना है, बल्कि बाल विकास, सामूहिकता और सकारात्मक सोच का भी प्रतीक बन गया है। यहाँ की छोटी-छोटी सफलताएँ आने वाले कल के लिए बड़ी उम्मीदें जगा रही हैं।