“सरकारी ज़मीन कैसे बनी ‘प्राइवेट प्रॉपर्टी’? कंचनपुर का हज़ारों एकड़ वाला ‘साइलेंट स्कैम’”
“पेड़ों के बीच प्लान हुआ प्लॉट घोटाला: कंचनपुर में जमीन पर कब्जे की चुपचाप साजिश!”
रतनपुर/बिलासपुर——-बिलासपुर जिले के शांत और हरियाली से भरे गांव कंचनपुर में एक बड़ा राज दबा हुआ था—जिसे अब दस्तावेजों की मदद से उजागर किया जा रहा है।यह कोई मामूली जमीन विवाद नहीं है, बल्कि सैकड़ों एकड़ की सरकारी भूमि को धीरे-धीरे, चुपचाप, चुनिंदा लोगों के नाम पर नामांतरण करके निजी संपत्ति बना दिया गया।इस जमीन पर आज भी घना जंगल मौजूद है, लेकिन राजस्व रिकॉर्ड में ये अब “निजी भूमि” बन चुकी है।खुलासा करने वाले दस्तावेज बताते हैं:वर्ष फरवरी 2020 में कंचनपुर के खसरा नंबर 532 में दर्ज सैकड़ों एकड़ सरकारी भूमि को रतनपुर, उसलापुर और यहां तक कि दिल्ली तक के लोगों के नाम पर दर्ज किया गया।
नामों की लिस्ट में हैं:
🔹 अनिल, सुनील, दीपक, आरती, ललित, मोना, सुनीता
🔹 मोहित केरकेट्टा (13.54 हेक्टेयर – सबसे बड़ी हिस्सेदारी)
🔹 राजवर्धन सिंह, अमरदीप किस्पोट्टा, प्रवीण कुजूर
🔹 कांति मिंज उर्फ जान बास्को, लक्ष्मण आदि।
कुछ चौंकाने वाले तथ्य:——
नामांतरण सरकारी जमीन पर हुआ, जो नियमों के मुताबिक गैरकानूनी माना जाता है।
जमीनें जंगलों से घिरी हैं, जिससे वन भूमि होने का भी संदेह।
रिकॉर्ड में नाम दर्ज तो हो गया, लेकिन गांव वालों को भनक तक नहीं लगी।
न तो सार्वजनिक सूचना, न ही किसी ग्राम सभा की अनुमति।
सवालों के घेरे में राजस्व अमला:—
तब के पटवारी और तहसीलदार की भूमिका बेहद संदिग्ध मानी जा रही है। सूत्रों का कहना है कि यह सब बिना “ऊपर की मिलीभगत” के संभव नहीं था।
अब यह घोटाला करोड़ों की जमीन पर कब्जा और सरकारी सिस्टम के दुरुपयोग का जीता-जागता उदाहरण बन चुका है।
जनता की मांग:–
तत्काल उच्चस्तरीय जांच
नामांतरण की वैधता की समीक्षा
दोषी अधिकारियों पर FIR और विभागीय कार्रवाई
📌 जंगल में छिपी इस ‘जमीन साजिश’ ने साफ कर दिया है कि भ्रष्टाचार अब फाइलों से निकल कर पेड़ों के बीच बसने लगा है… और उसकी जड़ें अब बहुत गहरी हो चुकी हैं।