
आफत की बारिश में टूटी जिंदगी की डोर – नवागांव-तेंदुभाठा शहर से कटा, चापीनाला जलसमाधि में डूबा!
कोटा ब्लॉक में तबाही का मंजर, पुल बहा – ग्रामीणों की दुश्वारियां चरम पर
कोटा, बिलासपुर—–कोटा विकासखंड के ग्रामीण अंचलों में लगातार दो दिनों से हो रही मूसलधार बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया है। भारी बारिश से नवागांव और तेंदुभाठा का शहर से संपर्क पूरी तरह टूट गया है। गांवों को जोड़ने वाला पुल पानी के तेज बहाव में बह गया, जिससे ग्रामीण अब पूरी तरह से अलग-थलग हो गए हैं।
चापीनाला बना जलसागर, सड़कों पर पानी का राज:—
चापीनाला इलाके में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। खेत, रास्ते और घरों के आंगन तक पानी घुस आया है। गांव जलमग्न हो चुका है, लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं। नदी-नाले उफान पर हैं, जिससे आसपास के क्षेत्रों में दहशत का माहौल है।
न राहत, न पहुंच – प्रशासन बना मूकदर्शक:
अब तक न तो प्रशासन की कोई राहत टीम पहुंची है और न ही वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था की गई है। ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल, अस्पताल और जरूरी सामान के लिए बाहर निकलना तक नामुमकिन हो गया है। बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे सबसे ज्यादा परेशान हैं।
ग्रामीणों का सवाल – “कब तक सहेंगे ये बेरुखी?”
लोगों ने शासन से तत्काल पुल की मरम्मत, नाव या वैकल्पिक संपर्क साधनों की मांग की है। वरना हालात और भी बदतर हो सकते हैं।
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**📸 तस्वीरों में देखिए – टूटा पुल, डूबा गांव, फंसे लोग – प्रकृति का कहर और प्रशासन की खामोशी एक साथ!
कोटा, बिलासपुर।
कोटा ब्लॉक के ग्रामीण अंचल में दो दिनों से हो रही मूसलधार बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। नवागांव और तेंदुभाठा जैसे गांवों का शहर से संपर्क पूरी तरह टूट गया है। भारी बारिश के कारण पुल ध्वस्त हो गया, जिससे ग्रामीणों की आवाजाही ठप हो गई है।
चापिनाला पूरी तरह जलमग्न हो गया है। गांव के रास्ते नदी-नालों में तब्दील हो चुके हैं। नदियों का उफान इतना ज्यादा है कि आसपास के खेत और रास्ते भी जलमग्न हो चुके हैं। लोगों को आने-जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
स्थानीय प्रशासन की ओर से अब तक कोई राहत व्यवस्था नजर नहीं आ रही है। ग्रामीणों ने प्रशासन से पुल निर्माण व वैकल्पिक रास्तों की मांग की है। वहीं बारिश की यह रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही, जिससे खतरा और बढ़ गया है।
ग्रामीणों की पुकार – “हम फंसे हैं, हमें रास्ता चाहिए”,
अब देखना यह होगा कि प्रशासन कब तक नींद से जागता है और इस आफत से जूझते गांवों को राहत देता है।
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