
रतनपुर——–छत्तीसगढ़ की पौराणिक राजधानी और धार्मिक नगरी रतनपुर, जहां युगों-युगों से विश्वप्रसिद्ध मां महामाया देवी का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है, वहीं उसी नगरी का मुख्य चौक — महामाया चौक — आज भी अपनी पहचान के लिए तरस रहा है।
धार्मिक व पौराणिक नगरी रतनपुर किसी पहचान का मोहताज नही है यहाँ विश्वप्रसिद्ध मा महामाया देवी विराजमान है जिसके दर्शन के लिये रोजाना हजारों की संख्या में रतनपुर पहुचते है मन्दिर पहुचने के लिये सभी को महामाया चौक से ही मन्दिर पहुचना होता है यह चौक न केवल रतनपुर का प्रमुख प्रवेश द्वार है, बल्कि यहीं से छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों सहित दूसरे राज्यों को जोड़ने वाली सड़कें भी गुजरती हैं। बावजूद इसके, आज तक न स्थानीय प्रशासन ने और न ही महामाया मंदिर ट्रस्ट ने इस ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से अहम स्थान की ओर ध्यान दिया है।यह चौक जहां मां महामाया मंदिर आने वाले हजारों श्रद्धालुओं की पहली झलक बनता है, वह अव्यवस्था, पहचानहीनता और उपेक्षा का शिकार है। न कोई नामपट्ट है, न ही ऐसा कोई प्रतीक जिससे पता चल सके कि यह स्थान महामाया मंदिर का प्रमुख द्वार है।
स्थानीय नागरिकों और श्रद्धालुओं की मांग है कि महामाया चौक को धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान दिलाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं, ताकि यह चौक भी रतनपुर की गौरवशाली विरासत का प्रतीक बन सके।
करोड़ो रूपये सड़क बनी पर चौक उपेक्षित —– ——-
रतनपुर में अभी हाल में खंडोबा से सांधीपारा तक करोड़ो रूपये का पीडब्ल्यूडी ने सड़क बनवाया है जो इसी महामाया चौक से ही होकर गुजरी है लेकिन विभाग के द्वारा भी इस चौक को उपेक्षित कर दी गयी।
जनप्रतिनिधि भी ध्यान नही देते—–
महामाया चौक वर्षों से उपेक्षा झेल रहा है, लेकिन अफसोस की बात है कि जनप्रतिनिधि भी इसकी पहचान और सौंदर्यीकरण की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं
मन्दिर ट्रस्ट द्वारा महामाया चौक की अनदेखी पर उठे सवाल—–
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि महामाया मंदिर ट्रस्ट द्वारा वर्षों से महामाया चौक की उपेक्षा की जा रही है। चौक का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व होने के बावजूद, यहां साफ-सफाई, प्रकाश व्यवस्था और सौंदर्यीकरण जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। ट्रस्ट द्वारा केवल मंदिर परिसर तक ही सीमित कार्य करना, चौक के महत्व को कम कर रहा है।