
सीपत,,,,एनटीपीसी सीपत परियोजना से प्रभावित आठ ग्रामों के किसान, मजदूर, शिक्षित बेरोजगार, ट्रांसपोर्टर और जनप्रतिनिधियों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर 2004 के त्रिपक्षीय अनुबंध और 2008 में हुए 692 पदों पर नौकरी देने के समझौते के पालन की मांग की है। ग्रामीणों का आरोप है कि 16-21 वर्षों से प्रबंधन समझौतों की अनदेखी कर रहा है और कई अधिकारों का हनन हो रहा है।ग्रामीणों में प्रमुख मांगें — प्रभावित किसानों को शेष 288 पदों पर तत्काल नियुक्ति, सभी कार्यों में 70% प्राथमिकता, सीपत व आसपास के गांवों का सीएसआर मद से चहुमुखी विकास, चारागाह, खेल मैदान, सड़कों का डामरीकरण-सीसी निर्माण, मवेशी चारागाह, जल–बिजली–स्वच्छता की बेहतर व्यवस्था, प्रभावित क्षेत्रों में अस्पताल व आईटीआई केंद्र की स्थापना, प्रत्येक परिवार से एक को रोजगार, राखड़ परिवहन में ओवरलोड रोकने हेतु बेरियर और जांच व्यवस्था, महिला समूहों को रोजगार, रेलवे लाइन से प्रभावित गांवों का विकास, स्थानीय ठेकेदारों को काम देने, तालाब सौंदर्यीकरण, कृषि भूमि फेंसिंग, नहर किनारे व मुख्य मार्गों पर स्ट्रीट लाइट व चेकर टाइल्स लगाने की व्यवस्था शामिल हैं।ग्रामीणों ने कहा कि प्रारंभिक चरण में प्रबंधन ने विकास, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं का वादा किया था, परंतु आज भी हालात विपरीत हैं। सीपत सहित 10-15 किलोमीटर तक के गांवों में अपेक्षित विकास नहीं हुआ। उन्होंने प्रत्येक 4 माह में त्रिपक्षीय समीक्षा बैठक और नई समिति गठन की भी मांग की।
किसानों का कहना है कि यदि 10 दिनों के भीतर त्रिपक्षीय बैठक कर समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो 18 अगस्त 2025 से एनटीपीसी सीपत के मटेरियल गेट के सामने अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। आंदोलन की जिम्मेदारी एनटीपीसी प्रबंधन और प्रशासन की होगी।